आम बजट में कर्मचारियों की तमाम मांगों का जिक्र नहीं हुआ। बजट भाषण में कर्मचारी हित में कोई घोषणा नहीं की गई। बजट पर इप्सेफ ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नाराजगी जताई है। इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीपी मिश्रा ने कहा है कि दो अक्तूबर को देशभर के कर्मचारी इप्सेफ के आवाहन पर सत्याग्रह करेंगे।
पब्लिक सर्विस इम्प्लाईज फेडरेशन (इप्सेफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र एवं महामंत्री प्रेमचन्द्र ने वित्तमंत्री के बजट भाषण पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री को पत्र भेजकर कई बार कर्मचारी हित से जुड़े प्रस्ताव भेजे। बावजूद पुरानी पेंशन बहाली, राष्ट्रीय वेतन आयोग का गठन, आउटसोर्सिग, संविदा, आंगनबाड़ी कार्यकत्री की सेवा सुरक्षा, न्यूनतम वेतन और विनियमतीकरण व आयकर सीमा बढ़ाने पर निर्णय नहीं किया गया। जबकि इन मांगों को लेकर आंदोलन भी किया गया, बावजूद भारत सरकार ने कर्मचारियों की पीड़ा को नहीं सुना, इसलिए दो अक्तूबर को गांधी की जयंती पर उनके आदर्शों पर सभा करके नाराजगी व्यक्त करते हुए आगे भी सत्याग्रह जारी रहेगा। इन्हीं के साथ एक बार इप्सेफ के नेताओं ने पुन प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री से इप्सेफ की मांगों पर सार्थक निर्णय करने की गुहार लगाई है।
पुरानी पेंशन की बहाली न होने से नाराज
अटेवा के प्रदेश महामंत्री डॉ. नीरजपति त्रिपाठी ने कहा कि भविष्य में कई राज्य में होने वाले चुनावों को देखते हुए शिक्षक व कर्मचारी को उम्मीद थी कि इस बार पेंशन बहाली पर सरकार सकारात्मक निर्णय करेगी। लेकिन सरकार ने कोई निर्णय न लेकर कर्मचारियों को नाउम्मीद कर दिया। प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि इस बजट से सरकारी शिक्षकों व कर्मचारियों की बुढ़ापे की लाठी पुरानी पेंशन बहाल होने की पूरी आशा थी। पर, मंगलवार को लोकसभा में पेश हुए बजट में पेंशन बहाली की घोषणा न होने से कर्मचारी मायूस हो गए हैं।
आयकर में मामूली राहत देकर कर्मचारियों को गुमराह किया गया है। आयकर सीमा बढ़ाने पर कोई खास निर्णय नहीं किया गया। टैक्स में राहत देने के लिए स्लैब में छल किया गया है। ऐसे में भीषण महंगाई से कर्मचारी दो जून की रोटी, बच्चों की शिक्षा-दीक्षा एवं दैनिक खर्चे की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है।
-अतुल मिश्रा, राष्ट्रीय सचिव, इप्सेफ
बजट निराशाजनक रहा। ओपीएस बहाली, 8 वां वेतन आयोग का गठन, आयकर ढांचे में बदलाव नदारत हैं। भर्तियों, संविदा-आउट सोर्सिग आदि बजट से गायब हैं। ऐसे में शिक्षक समाज मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। सरकार वार्ता कर सकरात्मक समाधान निकालें।
-आरके निगम, महासचिव, संयुक्त संघर्ष संचालन समिति उप्र
सरकार ने बजट में न पुरानी पेंशन व्यवस्था पर कोई व्यवस्था की न आउटसोर्सिंग के लिए कुछ किया। आयकर में मामूली सा परिवर्तन कर आयकरदाताओं से छल किया है, जिसे कर्मचारी समाज क्षमा नहीं करेगा और निकट भविष्य में पूरे देश का कर्मचारी लामबंद होकर आंदोलन करेगा।
-सतीश पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष, राज्य कर्मचारी महासंघ उप्र
बजट में स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए कुछ नहीं है। सेवाओं और नए अस्पतालों को खोलने या बढ़ावा देने के लिए भी सरकार ने प्रयास नहीं है। कर्मचारियों के लिहाज से आठवें वेतन आयोग के बारे में कुछ नहीं है। न्यू पेंशन वाले 10 फीसदी अंशदान देते थे। अब चार फीसदी और देना पड़ेगा। -अशोक कुमार, प्रधान महासचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ उप्र
बजट में किए गए प्रावधान अफोर्डेबल हाउसिंग को बढ़ावा देगा, मध्यम वर्ग के होम बायर्स की जरूरतों को पूरा करने वाला है। सरकार का शहरी आवास में निवेश का यह कदम सराहनीय है। इसका असर देर में दिखेगा लेकिन सकारात्मक होगा। -सुधीर अग्रवाल , संस्थापक चेयरमैन, रिशिता डेवेलपर्स
बजट में आयकर में आंशिक राहत है जो पर्याप्त नहीं है। कर्मचारियों को ईपीएफ कर्मचारी पेंशन योजना में मिल रही 1000 से 3000 पेंशन में बढ़ोतरी की उम्मीद थी, परंतु नहीं हुआ, इसलिए ईपीएफ पेंशनर्स में तथा पुरानी पेंशन की मांग कर रहे केंद्र/राज्य कर्मचारियों में काफी निराशा है। -गिरीश चन्द्र मिश्र, महामंत्री
रोडवेज कर्मचारी, संयुक्त परिषद उप्र