प्रयागराज। रॉयल्टी और जीएसटी के विवाद में यूपी बोर्ड की किताबें नहीं छप सकी हैं। इसके चलते सत्र शुरू होने के साढ़े तीन महीने बाद भी यूपी बोर्ड से संबद्ध प्रदेश के 27 हजार से अधिक माध्यमिक स्कूलों के कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को सस्ती किताबें नहीं मिल सकी हैं। हर साल आमतौर पर जुलाई के पहले सप्ताह तक राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) आधारित किताबें मिल जाती थीं। इस साल जुलाई का दूसरा सप्ताह बीतने के बावजूद किताबों का अता-पता नहीं है।
एनसीईआरटी का 2021 की रॉयल्टी और जीएसटी का दो करोड़ से अधिक नहीं मिला है। प्रकाशकों ने हाईकोर्ट में याचिका कर दी है कि कोरोना काल में किताबें नहीं बिकने से उनका नुकसान हो गया, इसलिए रॉयल्टी और जीएसटी देने में असमर्थ हैं। यह मामला अब तक हाईकोर्ट में लंबित है। उधर, एनसीईआरटी ने साल 2021 की रॉयल्टी और जीएसटी नहीं मिलने पर इस साल किताबों के प्रकाशन का अधिकार ही नहीं दिया। किताबों के प्रकाशन का अधिकार देने के लिए यूपी बोर्ड से लेकर शासन के अधिकारियों ने कई बार केंद्र सरकार से पत्राचार किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जानकारों की मानें तो आज की तारीख में भी प्रकाशन का अधिकार मिल जाए तो भी किताबें छपकर बाजार तक पहुंचने में कम से कम दो महीने का समय लग जाएगा। पहले किताबों के प्रकाशन के लिए टेंडर निकाला जाएगा और उसके बाद प्रकाशन और बाजार में उपलब्धता के लिए न्यूनतम दो महीने का समय देना होगा।
वेबसाइट पर किताबें
2024-25 सत्र में किताबों का प्रकाशन नहीं होने से बच्चे परेशान हैं। वैसे यूपी बोर्ड की वेबसाइट www. upmsp. edu. in पर किताबें उपलब्ध हैं और छात्र-छात्राएं चाहें तो नि:शुल्क डाउनलोड कर सकते हैं।
मनमानी कर रहे प्रकाशक
एनसीईआरटी की किताबें बाजार में नहीं आने पर निजी प्रकाशक मनमानी कर रहे हैं। कक्षा 12 की रसायन विज्ञान की दो किताबों की कीमत वैसे तो 38 रुपये है। लेकिन दोनों किताबों को एकसाथ छापकर निजी प्रकाशक बाजार में 1175 रुपये में बेच रहे हैं। इसी प्रकार 52 रुपये में मिलने वाली भौतिक विज्ञान की दो किताबें निजी प्रकाशक 1060 रुपये में बेच रहे हैं।