वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट पेश करेंगी। इस बजट में करदाताओं को वित्त मंत्री से किसी बड़े राहत के एलान की उम्मीद है। इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-24 के बजट भाषण में करदाताओं के लिए आयकर का दायरा बढ़ाने का एलान किया था। उस समय आयकर का दायरा पांच लाख रुपये से बढ़ाकर सात लाख रुपये (नई टैक्स रिजीम के तहत) कर दिया गया। भारत में आयकर व्यवस्था से जुड़े कई रोचक किस्से रहे हैं आइए जानते हैं उनके बारे में।
शादीशुदा और कुंवारों को भरना पड़ता था अलग-अलग टैक्स
1955 में जनसंख्या बढ़ाने के लिए पहली बार देश में शादीशुदा और कुंवारों के लिए अलग-अलग टैक्स फ्री इनकम रखी गई। इसके तहत शादीशुदा लोगों को 2000 रुपये तक की आमदनी तक कोई टैक्स नहीं देना पड़ता था। वहीं, कुंवारों के लिए यह लिमिट 1000 रुपये ही थी।
आबादी बढ़ाने पर टैक्स छूट देने वाला पहला देश बना भारत
भारत 1958 में बच्चों की संख्या के आधार पर इनकम टैक्स में छूट देने वाला दुनिया का इकलौता देश बना। शादीशुदा होने पर यदि बच्चा नहीं है तो 3000 रुपये तक की आय पर टैक्स नहीं देना पड़ता था। लेकिन, एक बच्चे वाले व्यक्तियों के लिए 3300 रुपये और 2 बच्चों पर 3600 रुपये की आय टैक्स फ्री थी।
1947 में 1500 रुपये की आमदनी थी टैक्स फ्री
आजाद भारत का पहला बजट 16 नवंबर 1947 को पेश किया गया था। इसे देश के पहले वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था। हालांकि यह एक तरह से भारतीय अर्थव्यवस्था की समीक्षा रिपोर्ट थी। जब देश का पहला बजट पेश किया गया था उस समय देश में 1500 रुपये तक की आमदनी टैक्स फ्री थी। 2023 में मोदी सरकार की ओर से पेश किए गए बजट में यह लिमिट सात लाख रुपये (नई टैक्स रिजिम के तहत) कर दी गई।
हर 100 रुपये की कमाई पर लगता था 97.75 रुपये टैक्स
1973-74 में भारत में आयकर की दर सबसे ज्यादा थी। उस समय आयकर वसूलने की अधिकतम दर 85 फीसदी कर दी गई थी। सरचार्ज मिलाकर यह दर 97.75 फीसदी तक पहुंच जाती थी। 2 लाख रुपये की आमदनी के बाद हर 100 रुपये की कमाई में से सिर्फ 2.25 रुपये ही कमाने वाले की जेब में जाते थे। बाकी 97.75 रुपये सरकार रख लेती थी।
पिछले साल नई टैक्स रिजीम को किया गया डिफाॅल्ट
देश में पिछले साल से नई टैक्स रिजीम को डिफाल्ट कर दिया गया है। नई टैक्स व्यवस्था को केंद्र सरकार ने एक अप्रैल 2020 से लागू किया था। नई टैक्स व्यवस्था यानी नई टैक्स रिजीम में नए टैक्स स्लैब बनाए गए थे लेकिन आयकर में मिलने वाले सारे डिडक्शन और छूट समाप्त कर दिए गए थे। इस दौरान सुपर रिच टैक्स को घटाकर 37 प्रतिशत कर दिया गया था। वहीं रिटायर्ड कर्मियों के लिए लिव इनकैशमेंट की सुविधा में इजाफा कर उसे तीन लाख से 25 लाख रुपये कर दिया गया था। आजादी के बाद से आयकर के मामले में कई बड़े बदलाव देश ने देखे हैं।