प्रयागराज। परीक्षाओं में पारदर्शिता के लिए शासन ने केंद्रों के निर्धारण के लिए जो दिशा-निर्देश जारी किए हैं, उनके तहत उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के लिए लाखों अभ्यर्थियों की परीक्षा करा पाना बड़ी चुनौती होगी। शासन ने जिस स्तर के उच्च गुणवत्ता वाले विद्यालयों और कॉलेजों को केंद्र बनाने के लिए कहा है, उनकी संख्या सीमित है।
आयोग की ओर से आयोजित पीसीएस, आरओ/एआरओ जैसी भर्ती परीक्षाओं में लाखों की संख्या में अभ्यर्थी शामिल होते हैं। ये परीक्षाएं दो पालियों में आयोजित की जाती हैं। आवेदन करने वाले सभी अभ्यर्थियों के लिए दोनों पालियों की प्रारंभिक परीक्षाओं में शामिल होना अनिवार्य है। आरओ/एआरओ परीक्षा-2023 के लिए जहां 11 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किए हैं। वहीं, पीसीएस परीक्षा-2024 के लिए तकरीबन छह लाख दावेदार हैं।
इन परीक्षाओं के लिए प्रदेशभर के जिलों में केंद्र बनाए जाते हैं। शासन
केंद्र निर्धारण में उच्च गुणवत्ता वाले संस्थानों को शामिल करना आसान नहीं
त्तरप्रदेश
आयोग
ने केंद्र निर्धारण के लिए जो नए मानक तय किए हैं, उनके अनुसार परीक्षा केंद्रों का चयन केवल दो श्रेणियों ‘ए’ एवं ‘बी’ में किया जाएगा। श्रेणी ‘ए’ में समुचित सुविधाओं वाले राजकीय माध्यमिक विद्यालय, राजकीय डिग्री कॉलेज, राज्य/केंद्र के विश्वविद्यालय, पॉलिटेक्निक, राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, राजकीय मेडिकल कॉलेज शामिल होंगे।
श्रेणी ‘बी’ में ख्याति प्राप्त और सुविधा संपन्न वित्त पोषित शैक्षणिक संस्थाएं ही शामिल होंगी, जो पूर्व में संदिग्ध, विवादित या काली सूची में न रहीं हों। इसके साथ ही केंद्र की दूरी बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और कोषागार से 10 किमी की परिधि में होनी चाहिए और केंद्र शहरी आबादी में होने चाहिए। श्रेणी ‘ए’ में जिन संस्थानों को परीक्षा केंद्र बनाए जाने पर जोर दिया गया है, इनमें से ज्यादातर संस्थाएं पूर्व में आयोग की किसी भी परीक्षा में केंद्र नहीं रहीं हैं। सूत्रों का कहना है कि इन संस्थानों
को परीक्षा केंद्र बनाने के लिए पत्राचार शुरू कर दिया गया है, लेकिन ज्यादातर संस्थानों ने प्रशासन को अभी तक अपना जवाब नहीं भेजा है। अगर केंद्रीय विश्वविद्यालय, राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, राजकीय मेडिकल कॉलेज परीक्षा केंद्र बनने के लिए तैयार नहीं होते हैं तो आयोग की बड़ी परीक्षाओं के लिए केंद्रों की कमी पड़ सकती है।