यदि बीटीसी/डीएलएड योग्यताधारी नियुक्त लोग कहते हैं कि 69000 भर्ती में चयन सूची बचाने का मामला है, बीटीसी बनाम बीएड का मामला नहीं है तो वह एनसीटीई नोटिफिकेशन 28/06/2018 के माध्यम से प्राइमरी शिक्षक योग्यता में बीएड को सम्मिलित करने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका को वापस लें।
क्योंकि यह याचिका अब भी विचाराधीन है।
एनसीटीई का नोटिफिकेशन 28/06/2018 राजेंद्र चोटिया की याचिका पर जोधपुर हाई कोर्ट रद्द कर चुकी है और माननीय सुप्रीम कोर्ट देवेश शर्मा बीएड की एसएलपी खारिज कर चुकी है तो अब आगे की भर्ती में बीएड के लोग तो शामिल नहीं होंगे तो फिर यह याचिका बीटीसी के लोग ने क्यों पेंडिंग रखी है? इसे वापस लेकर तब ही बीएड की तरफ मित्रता का हाथ बढ़ाएं।
एनसीटीई का नोटिफिकेशन दिनांक 28/06/2018 आने के बाद नोटिफिकेशन के पक्ष में यूपी बीएड टीम ने बीएड के पक्ष में कैविएट फाइल किया था। इसलिए नोटिफिकेशन पर स्टे नहीं हुआ और बीएड के लोग 69000 भर्ती में शामिल हो सके थे।
ऑर्डर में अधिवक्ता श्री अग्निहोत्री त्रिपाठी जी और वरिष्ठ अधिवक्ता श्री एच एन सिंह जी का नाम बीएड के पक्ष में दर्ज है। इसलिए उत्तर प्रदेश में आज तक नियुक्त बीएड पर कोई आफत नहीं आई।
एनसीटीई का नोटिफिकेशन राजस्थान के बीटीसी अभ्यर्थियों की याचिका पर रद्द होने के बाद जब 69000 के नियुक्त बीएड पर खतरा आया तब भी यूपी बीएड टीम ने पैरवी की और 69000 भर्ती के नियुक्त बीएड को बचाया।
अगर 69000 भर्ती में सरकार ने 65/60 कट ऑफ न लगाया होता तो बीटीसी के लोग बीएड को बाहर कराने की पैरवी करते मगर कट ऑफ लग जाने के कारण बीएड बीटीसी मिलकर शिक्षामित्रों के खिलाफ लड़ने लगे।
नैतिक रूप से बीटीसी के लोग यह याचिका वापस लेकर तब बीएड के लोगों से अपने साथ आने का आह्वान करें।
अन्यथा यही समझा जायेगा कि आज आरक्षित लोग अनारक्षित पर उनकी/आरक्षित शीट खाने का आरोप लगा रहे हैं कल को बीटीसी के लोग बीएड पर बीटीसी की शीट खाने का आरोप लगाएंगे।
अविचल
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