एक देश, एक ही कक्षा लेकिन परीक्षाओं के पैटर्न सभी राज्यों में अलग है। कोई दसवीं की बोर्ड परीक्षा अभी सिर्फ आठ दिन में कराता है तो कोई इसे 34 दिन में कराता है। ऐसी ही कुछ स्थिति बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर है। बिहार इसे दस दिन में कराता है तो पंजाब में यह 63 दिन में होती है। फिलहाल सभी राज्यों के स्कूली शिक्षा बोडौँ की दसवीं व बारहवीं की परीक्षाओं की अवधि में एकरूपता लाने शिक्षा मंत्रालय ने पहल तेज की है। राज्यों के साथ इसे लेकर विमर्श शुरू किया गया है।
इस पहल से कोई भी राज्य दूसरे राज्य की बोर्ड परीक्षाओं की गुणवत्ता पर सवाल नहीं खड़ा कर सकेगा। साथ ही छात्रों को भी फटाफट या परीक्षा की लंबी अवधि से छुटकारा मिलेगा। वैसे भी विशेषज्ञों की मानें तो परीक्षाओं की अवधि ज्यादा लंबी होने से छात्रों में तनाव बढ़ता है। शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों के स्कूली शिक्षा बोडौँ के परीक्षा
शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों के स्कूली शिक्षा बोर्डों के साथ शुरू की चर्चा
• बिहार में 12वीं की परीक्षा दस दिन में तो पंजाब में लगते 63 दिन
पैटर्न का अध्ययन करने के बाद यह पहल शुरू की है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी स्कूली शिक्षा में एकरूपता लाने की पहल की गई है। इतना ही नहीं, मंत्रालय ने परीक्षा के पैटर्न और मूल्यांकन के तरीके में भी एकरूपता लाने की जरूरत बताई है। देश में एक ही कक्षा में पढ़ने वाले सभी छात्रों के पढ़ाई के स्तर को एक समान रखना है, तो जरूरी है कि सभी स्कूली शिक्षा बोर्ड मूल्यांकन के
तरीके में भी एकरूपता लाएं। शिक्षा मंत्रालय ने सीबीएसई के परीक्षा पैटर्न में बदलाव की दिशा में पहल शुरू की है। जिसमें अगले साल से दसवीं व बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं को जेईई मेन की तर्ज पर साल में दो बार कराने की तैयारी है।