, वाराणसी : श्रावण शुक्ल पूर्णिमा
को मनाया जाने वाला सनातन धर्म का प्रमुख पर्व रक्षाबंधन इस बार सोमवार 19 अगस्त को पड़ रहा है। इसी दिन भद्रा से रहित काल में 1:24 बजे से रक्षाबंधन के विधान होंगे। भाइयों की कलाई पर बहनें स्नेह का धागा बांधेंगी।
श्रीकाशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री ज्योतिषाचार्य प्रो. विनय कुमार पांडेय के अनुसार पूर्णिमा 18 अगस्त की रात 2:18 बजे से आरंभ होकर 19 अगस्त की मध्य रात्रि 12:29 बजे तक रहेगी। पूर्णिमा तिथि आरंभ होने के साथ ही भद्रा लग जाती हैं, जो पूर्णिमा के अर्धभाग तक रहती हैं। इसमें रक्षाबंधन पूर्णतया शास्त्र विरुद्ध माना गया है। इस वर्ष 18 अगस्त की रात्रि 2:18 बजे से 19 अगस्त के दोपहर 1:24 बजे तक भद्रा काल रहेगा। अतः 19 तारीख को भद्रा की समाप्ति के उपरांत रात्रिपर्यंत रक्षासूत्र बांधा जा सकता है।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग में पूर्व अध्यक्ष प्रो. गिरिजाशंकर शास्त्री के अनुसार यह स्थिति काशी के लगभग सभी पंचांगों में एक जैसी है। अतः 19 अगस्त को दोपहर 1:24 बजे के बाद रक्षाबंधन पर्व मनाया जाना धर्मशास्त्र के अनुकूल है। श्रीकाशी विश्वनाथ
ज्योतिषाचार्य प्रो. नागेन्द्र पांडेय के अनुसार रक्षाबंधन को लेकर कथा है कि सतयुग में देव-दानवों में 12 वर्षों तक युद्ध चला। देवता बार-बार हारते गए। देव गुरु बृहस्पति के आदेश पर इंद्राणियों ने इंद्र को रक्षा सूत्र बांधा। इसके प्रभाव से देवराज इंद्र ने दानवों का संहार किया और देवों को विजय मिली। यह तिथि श्रावण पूर्णिमा थी। उसी समय से सनातन धर्म में रक्षाबंधन पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई। तिथि विशेष पर बहनें भाइयों और पुरोहित यजमानों को रक्षासूत्र बांधते हैं।