प्रयागराज। प्रदेशभर के 4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के 25 हजार से अधिक पद खाली हैं। शिक्षा निदेशालय की ओर से हाल ही में शासन को भेजी गई सूचना के मुताबिक सहायक अध्यापकों या प्रशिक्षित स्नातक (टीजीटी) के स्वीकृत 70803 पदों में से 20999 पद रिक्त हैं। वहीं प्रवक्ता के स्वीकृत 22220 पदों में से 4703 खाली हैं। इन पर क्रमश: 49804 और 17517 शिक्षक अध्यापनरत हैं। प्रधानाचार्य या प्रधानाध्यापकों के 4512 पदों में से महज 1679 पद भरे हुए हैं और आधे से अधिक 2833 खाली हैं।
इन रिक्त पदों पर भर्ती तो दूर दो साल पहले विज्ञापित टीजीटी-पीजीटी के 4163 पदों पर चयन के लिए लिखित परीक्षा की तिथि तक घोषित नहीं हो सकी है। विज्ञापित पदों के लिए आवेदन करने वाले 13,33,136 अभ्यर्थी इसी इंतजार में बैठे हैं कि परीक्षा कब होगी। इन स्कूलों में शिक्षक भर्ती की जिम्मेदारी नवगठित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को दी गई है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि गठन के सालभर बाद भी आयोग को नियमित अध्यक्ष तक नहीं मिल सका है। नए आयोग का अधिनियम 21 अगस्त 2023 को पारित हुआ था। सरकार के इस फैसले से अभ्यर्थियों को जल्द नियुक्ति की उम्मीद जगी थी, लेकिन बेरोजगारों का इंतजार बढ़ता जा रहा है।
रिक्त पदों को जोड़ने की मांग कर रहे अभ्यर्थी
पूर्व में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने 4163 पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। हालांकि नए आयोग के गठन के बाद चयन बोर्ड का उसमें विलय हो गया। अब नए आयोग को ही एडेड कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती करनी है। इस बीच रिक्त पदों की संख्या बढ़कर 25 हजार से अधिक हो गई है। ऐसे में अभ्यर्थियों की मांग है कि वर्तमान में जितने भी रिक्त पद हैं उन सभी पर एकसाथ भर्ती की जाए ताकि अधिक से अधिक बेरोजगारों को नौकरी मिल सके और स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण पठन-पाठन के लिए शिक्षकों की कमी दूर हो।