परिषदीय स्कूलों में नियमित प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति पर छह साल में निर्णय नहीं हो सका है। शिक्षा मंत्रालय की ओर से होने वाली प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पीएबी) की बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार हर साल प्रधानाध्यापकों की तैनाती का प्रस्ताव रखती है, लेकिन उस पर अमल नहीं हो पा रहा। एक चौथाई उच्च प्राथमिक स्कूलों में नियमित प्रधानाध्यापक नहीं हैं। प्रमोशन न होने से शिक्षकों को आर्थिक नुकसान तो हो ही रहा है, शिक्षकों की नई भर्ती में भी अड़चन आ रही है। 2019-20, 2020-21, 2021-22 व 2022-23 सत्र की पीएबी बैठकों में अफसरों ने प्रधानाध्यापकों के 50 प्रतिशत पदों पर सीधी नियुक्ति पर विचार करने की भी बात कही थी।
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