नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से भी इस संबंध में जवाब मांगा है। अब इस केस पर अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी। तब तक उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य पक्षकारों को अपनी दलीलें पेश करनी होगी।
हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्र की पीठ ने रवि कुमार सक्सेना व अन्य 51 द्वारा दाखिल की गई याचिका पर यूपी सरकार यूपी बेसिक शिक्षा बोर्ड के सचिव को नोटिस जारी किया है। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने सभी इस संबंध में सात पन्नों में अगली सुनवाई पर जवाब दाखिल करने को कहा है।
क्या है पूरा मामला
बता दें इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में 69 हजार शिक्षक भर्ती के मामले में आरक्षण की अनदेखी के आरोप लगाते हुए याचिका दाखिल की गई थी। मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सहायक शिक्षक भर्ती-2019 में चयनित 69 हजार अभ्यर्थियों की सूची को रद्द कर नई सूची बनाने का निर्देश दिया था। सरकार व अन्य संबंधितों को आदेश दिया गया कि तीन माह में नई सूची जारी कर दी जाए।
उच्च न्यायालय ने कहा नई चयन सूची बनाते समय यदि वर्तमान में कार्यरत किसी सहायक शिक्षक पर विपरीत असर पड़ता है तो मौजूदा सत्र का लाभ दिया जाए ताकि छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो।
हाईकोर्ट ने एकल पीठ के फैसले को रखा था बरकरार
इसके साथ ही, हाईकोर्ट ने आरक्षित वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों की सूची खारिज करने के एकल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। 69 हजार अभ्यर्थियों की चयन सूची एक जून 2020 को जारी हुई थी, जबकि 6800 अभ्यर्थियों की सूची पांच जनवरी 2022 को जारी हुई थी।
यह निर्णय इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की दो सदस्यीय पीठ ने महेंद्र पाल व अन्य द्वारा एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दाखिल 90 विशेष अपीलों को एक साथ निस्तारित करते हुए पारित किया था।