ये विधेयक 5 सितंबर से लागू होने वाला है और इसमें कहा गया है कि बलात्कार के मामलों में, “बलात्कार की घटना के 10 दिनों के भीतर आरोपी को फांसी दी जाएगी. ”
बलात्कार के मामले दर्ज न करने वाले पुलिसकर्मियों को निलंबित करने का भी प्रावधान है
कोलकाता, । पश्चिम बंगाल विधानसभा ने मंगलवार को राज्य का दुष्कर्म विरोधी विधेयक सर्वसम्मति से पारित कर दिया। विधेयक में दुष्कर्म के मामलों की 21 दिन में जांच पूरी करने, पीड़िता के कोमा में जाने या मौत होने पर दोषी को फांसी की सजा देने जैसे सख्त प्रावधान हैं।
इसे अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024 (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) नाम दिया गया है। अब इसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। उसके बाद यह राष्ट्रपति के पास जाएगा। दोनों जगह पास होने के बाद यह कानून बनेगा।
राज्य के कानून मंत्री मलय घटक ने विधानसभा में यह विधेयक पेश किया। राज्य में मुख्य विपक्षी दल भाजपा के विधायकों ने भी इस विधेयक का पूर्ण समर्थन किया। प्रस्तावित कानून का मकसद दुष्कर्म और यौन अपराधों से संबंधित नए प्रावधानों के जरिए महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा मजबूत करना है।
दुष्कर्मियों की मदद करने वाले को भी सख्त सजा: विधेयक में दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म के दोषी को आजीवन कारावास की सजा और उसे पेरोल न देने की बात कही गई है। साथ ही दोषी के परिवार पर आर्थिक जुर्माना का भी प्रावधान है। दुष्कर्मियों को शरण देने या सहायता देने वालों के लिए भी तीन से पांच साल की कठोर कैद की सजा का प्रावधान भी है।
विधेयक में यौन अपराधों के लिए जांच और अभियोजन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव करने की बात कही गई है। जांच में तेजी लाने और पीड़ित के लिए त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तर पर अपराजिता टास्क फोर्स नामक एक विशेष कार्य बल के गठन का भी सुझाव दिया गया है। इसका नेतृत्व पुलिस उपाधीक्षक करेंगे। ये कार्यबल अपराधों की जांच के लिए जिम्मेदार होगा।
कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में पिछले महीने एक प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ कथित दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद सोमवार को विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया था। इस मामले में न्याय के लिए राज्य के डॉक्टर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।