प्रयागराज। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस सत्र से डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड) प्रशिक्षण के लिए दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों के लिए भी दरवाजे खोल दिए हैं। हालांकि प्रवेश में प्राथमिकता यूपी के अभ्यर्थियों को ही दी जाएगी। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान की निशुल्क सीटों पर यूपी के अभ्यर्थियों को ही प्रवेश मिल सके। यही नहीं गैर यूपी के अभ्यर्थियों को किसी प्रकार का आरक्षण नहीं मिलेगा और उन सभी को अनारक्षित श्रेणी में रखा जाएगा। डीएलएड में प्रवेश के लिए आवेदन 18 सितंबर से शुरू हो रहे हैं।
शासन के विशेष सचिव यतीन्द्र कुमार की ओर से नौ सितंबर को जारी डीएलएड 2024-25 प्रशिक्षण के शासनादेश के अनुसार डीएलएड प्रवेश के समय होने वाले अभिलेखीय जांच में अभ्यर्थी को उत्तर प्रदेश में अपने गृह जनपद के सक्षम अधिकारी की ओर से प्रवेश की तिथि तक जारी निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा, अन्यथा की स्थिति में अभ्यर्थी का आवेदन पत्र निरस्त कर दिया जाएगा। प्रथम चरण के बाद यदि सीटें रिक्त रह जाती हैं तो दूसरे राज्य के अभ्यर्थियों को द्वितीय चरण में रिक्त सीटों पर अवसर प्रदान किया जाएगा।
अभ्यर्थियों को प्रवेश की तिथि तक राज्य सरकार की ओर से अधिकृत अधिकारी के निर्धारित प्रारूप पर जारी निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। उत्तर प्रदेश के अभ्यर्थियों के चयन में राज्य सरकार की आरक्षण नीति के अनुसार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षण व्यवस्था की जाएगी। आरक्षित श्रेणी (ओबीसी/ एससी/एसटी/विशेष आरक्षित श्रेणी) के अभ्यर्थी उपलब्ध न होने पर, उक्त आरक्षित श्रेणी की रिक्त सीटों को अनारक्षित/सामान्य वर्ग की सीटों पर परिवर्तित करते हुए प्रवेश होगा। उत्तर प्रदेश के अभ्यर्थियों के अतिरिक्त दूसरे राज्य के सभी अभ्यर्थी अनारक्षित श्रेणी में मान्य होंगे, ऐसे अभ्यर्थियों को किसी भी तरह का आरक्षण देय नहीं होगा।
पिछले साल खाली रह गई थीं 70,100 सीटें
प्राथमिक स्कूलों की शिक्षक भर्ती में बीएड को अमान्य करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पिछले साल डीएलएड की 70,100 सीटें खाली रह गईं थी। प्रदेश के 67 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) की 10600 व 2974 निजी कॉलेजों की 2,22,750 कुल 2,33,350 सीटों पर प्रवेश के लिए 3,36,187 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। जिनमें से 1,63,250 अभ्यर्थियों ने ही प्रवेश लिया। छह साल से शिक्षक भर्ती नहीं आने के कारण भी बड़ी संख्या में सीटें खाली रह जा रही हैं। यही कारण है कि इस साल दूसरे राज्य के अभ्यर्थियों को भी मौका दिया गया है ताकि सीटें खाली न रह जाएं।