मंझनपुर, । बेसिक स्कूलों में स्टॉफ टॉयलेट बनवाने की शिक्षिकाओं की मांग अब विभागीय अधिकारियों को भी जायज लगने लगी है। इस मुद्दे पर बीएसए मातहतों से बातचीत कर रहे हैं। शासन को प्रस्ताव भेजने के लिए जल्द ही वह डीएम से मिलकर बात करेंगे। जिलाधिकारी का निर्देश मिलते ही प्रस्ताव भेजा जाएगा।
कौशाम्बी जिले में 1089 परिषदीय विद्यालय हैं। इनमें करीब तीन हजार शिक्षिकाओं की तैनाती है। अधिकतर स्कूलों में स्टॉफ टॉयलेट की व्यवस्था नहीं है। इसकी वजह से शिक्षिकाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दूषित शौचालय के इस्तेमाल से वह यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन)
का शिकार हो रही हैं। सितंबर में अब तक 12 शिक्षिकाएं संक्रमित होकर मेडिकल कॉलेज में इलाज करा रही हैं। वहीं मेडिकल कॉलेज का आंकड़ा चौंकाने वाला है। यहां हर महीने 90 से 100 महिलाएं यूटीआई की चपेट में आकर इलाज कराने पहुंचती हैं।
परेशान शिक्षिका संक्रमण से बचने के लिए फेसबुक पर ‘हर शिक्षिका की एक है मांग, अलग शौचालय हमारी शान’ का नारा बुलंद कर रही हैं। यह नारा तेजी से ट्रेंड भी कर रहा है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने शिक्षिकाओं का मुद्दा गंभीरता से
उठाया तो विभागीय अधिकारी गंभीर हो गए। बेसिक शिक्षा अधिकारी कमलेंदु कुशवाहा ने कहा कि मांग जायज है। इसपर मंथन किया जा रहा है। जिलाधिकारी से आदेश लेकर शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसमें उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।
पेट्रोल पंप के शौचालय का करती हैं इस्तेमाल
दोआबा के बेसिक स्कूलों में तैनात तमाम शिक्षिकाएं प्रयागराज में रहती हैं। स्कूल आने-जाने के लिए उन्होंने स्टॉफ बसों या अन्य वाहनों की व्यवस्था कर रखी है। छुट्टी के बाद यह वाहन रास्ते में पड़ने वाले पेट्रोल पंपों पर रोके जाते हैं। किसी शिक्षिका को जरूरत होती है, तो वह पंप के शौचालय का इस्तेमाल करती हैं।
देर तक शौच रोकना बीमारी को आमंत्रण
शिक्षिकाएं दूषित शौचालय का प्रयोग करने से बचने के लिए काफी देर तक शौच रोके रहती हैं। वह इंतजार करती हैं कि बस पेट्रोल पंप पर तो रुकेगी ही। हालांकि, इमरजेंसी में दूषित टॉयलेट का इस्तेमाल करना ही पड़ता है। मेडिकल कॉलेज में तैनात यूटीआई विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक शुक्ला कहते हैं कि देर तक शौच रोकना भी बीमारी को आमंत्रण देना ही