लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय में नई नियुक्ति पाने वाले शिक्षक भी शोध पर्यवेक्षक (पीएचडी गाइड) बन पाएंगे। प्रोबेशन अवधि का नियम इसमें रोड़ा नहीं बन पाएगा। ऐसे में वह बिना रुकावट छात्रों को पीएचडी करवा सकेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के इस संबंध में आदेश जारी करने के बाद कुलपति को प्रस्ताव भेजा गया है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के पीएचडी अध्यादेश 2023 में नए शिक्षकों के पीएचडी कराने के संबंध कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है। नियमानुसार प्रोबेशन अवधि पूरी होने के बाद ही शिक्षकों को पीएचडी गाइड बनने के लिए अर्ह माना जाता है। यूजीसी की ओर से स्पष्ट निर्देश जारी करने बाद कि पीएचडी कराने के लिए निर्धारित मापदंड और शर्तें पूरी करने वाले शिक्षक को पीएचडी शोधार्थी आवंटित किए जा सकते हैं। अब इस आदेश के बाद विवि के कुलसचिव कार्यालय ने अनुमोदन के लिए कुलपति को प्रस्ताव भेज दिया है। वहां से मंजूरी मिलते ही नए शिक्षकों के लिए पीएचडी कराने की राह साफ हो जाएगी
सुपरवाइजर बनने के लिए है यह मानदंड
यूजीसी ने शिक्षकों के पीएचडी सुपरवाइजर बनने के लिए जो मानदंड निर्धारित किए हैं, उसमें असिस्टेंट प्रोफेसर के संदर्भित पत्रिकाओं में तीन शोध पत्र प्रकाशित होने चाहिए। जबकि प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर को पीएचडी गाइड बनने के लिए पांच शोध पत्र प्रकाशित कराना अनिवार्य है।
■ खाली सीटों का मांगा जा चुका है ब्योराः लविवि में पीएचडी सीटों को विज्ञापित करने के लिए शिक्षकों से उनके अधीन खाली सीटों का विवरण उपलब्ध कराने को निर्देशित किया जा चुका है। कुलसचिव विद्यानंद त्रिपाठी ने इस संबंध में पत्र जारी करते हुए सभी शिक्षकों को विभागीय शोध समिति (डीआरसी) के अनुमोदन के बाद नियमित व पार्टटाइम सीटों का ब्योरा देने को कहा था। यह ब्योरा उन्हें 20 सितंबर तक प्रवेश समन्वयक कार्यालय में देना था।