लखनऊ, । जांच के नाम पर अब न तो कर्मियों का उत्पीड़न होगा और न ही विभागीय कार्रवाई सिर्फ फाइलों में कैद होकर रह पाएगी। दोषियों को सजा मिलेगी और निर्दोषों को झूठी जांच के नाम पर फंसाया नहीं जा पाएगा। कार्मिक विभाग इस संबंध में विभागाध्यक्षों से निर्धारित प्रारूप पर पूरी रिपोर्ट मांगने जा रहा है।
कार्मिक विभाग का मानना है कि जांच के नाम पर खेल नहीं चलेगा और न ही उन्हें बैठाए रखा जाए। जांच पूरी कर बहाल होने वाले कर्मियों से पूरा काम लिया जाए, जिससे उन्हें तय समय में सजा भी मिले और जरूरत के आधार पर उनसे काम भी लिया जा सके। कार्मिक विभाग ने कर्मचारी आचरण नियमावली बना रखी है। इसके आधार पर कर्मियों को समय-समय पर नियम विरुद्ध काम करने पर सजा दी जाती है। कुछ मामलों में कर्मियों का यह आरोप भी होता है कि उनके झूठे मामलों में फंसाया गया है। इसीलिए कार्मिक विभाग चाहता है कि समय पर जांच पूरी की जाए और दोषियों को सजा दी जाए व निर्दोषों को माफ किया जाए। इसीलिए सभी विभागों से रिपोर्ट मांगने की तैयारी है।
जिससे यह पता लगाया जा सके कि उनके यहां ऐसे कितने मामले लंबित हैं। विभागों से पूछा जाएगा कि उनके यहां वर्तमान में कितने कर्मचारी तैनात हैं। उनके पदनाम क्या हैं? अनुशासनिक कार्रवाई का विवरण क्या है? कर्मचारी के निलंबन होने की तिथि, संबद्धीकरण कितने कर्मियों को किया गया है? जांच अधिकारी का नाम व पदनाम क्या है। आरोप पत्र जारी करने की तिथि, अधिकारी द्वारा उत्तर प्रस्तुत करने की तिथि क्या है? जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने की तिथि, जांच रिपोर्ट पर पीड़ित कर्मी का पक्ष कब मांगा गया। कर्मी द्वारा पक्ष प्रस्तुत करने की तिथि क्या है और मौजूदा स्थिति क्या है। इसकी शुरुआत राज्य कर विभाग से की गई है। प्रमुख सचिव राज्यकर एम. देवराज के निर्देश पर सबसे पहले वहां के कर्मियों से रिपोर्ट तलब की गई है।