बिजनौर में, परिषदीय पाठशाला में दाखिले से पहले, छात्र-छात्राओं को आंगनबाड़ी केंद्रों में अक्षर और शब्द ज्ञान की मजबूत नींव दी जाएगी। इससे उन्हें आगे की पढ़ाई में कोई कठिनाई नहीं होगी। प्रारंभिक बाल्यावस्था में, बच्चों के पठन और लेखन कौशल का विकास किया जाएगा। शिक्षक उन्हें किताबों की कहानियां पढ़कर सुनाएंगे और उन पर चर्चा भी करेंगे।
- कल संविधान दिवस पर होने वाले कार्यक्रम
- BEO को वाहन के लिए ₹30000/प्रतिमाह मिलता है अलग से
- परख एप पर बच्चों के नाम नहीं, कैसे लेंगे निपुण टेस्ट
- प्राथमिक विद्यालय स्टाफ की भारी लापरवाही आई सामने ➡प्रधानाचार्य स्कूल में बच्चे को बंद करके भूले
- केन्द्रीय कैबिनेट ने QR CODE वाले पैन कार्ड को दी मंजूरी
जनपद में 2120 परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट स्कूलों में ढाई लाख से अधिक छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। पहले, प्राथमिक स्कूलों में छह वर्षीय छात्रों का ही प्रवेश होता था, और अभिभावक उन्हें प्री प्राइमरी के लिए निजी स्कूलों में भेजते थे। अब, जनपद के लगभग 1100 आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी बच्चों को पढ़ाया जाएगा, और छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों को इन केंद्रों पर प्रारंभिक शिक्षा मजबूत की जाएगी।
जिला समन्वय प्रशिक्षण विवेक बंसल के अनुसार, आंगनबाड़ी केंद्रों में शैक्षिक सत्र 2023-24 के लिए चहक (2,3), परिकलन (2,3), कलांकुर और एनबीटी की अभ्यास पुस्तकें पहुंच चुकी हैं। वर्तमान शैक्षिक सत्र 2024-25 के लिए यह कार्यक्रम 1099 आंगनबाड़ी क्षेत्रों में चलाया जाएगा।
प्री प्राइमरी शिक्षा के तहत, आंगनबाड़ी केंद्रों में बाल-वाटिका स्थापित की जा रही है, जहां नामांकित छात्र-छात्राओं को खेल के माध्यम से पढ़ाया और सिखाया जाएगा। इसके लिए राज्य परियोजना स्तर से विभिन्न शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है।
– योगेंद्र कुमार, बीएसए