पांच भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा
केंद्र सरकार ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषाओं को शास्त्रत्त्ीय भाषा का दर्जा देने की घोषणा की है। इन भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने के बाद देश में शास्त्रत्त्ीय भाषाओं की संख्या 11 हो गई है।

- फर्जी कागजों पर नौकरी कर रहे शिक्षकों के खिलाफ बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग चलाएगा अभियान
- डीएलएड के बराबर नहीं डीएड, हाईकोर्ट ने रद्द की सहायक शिक्षक की नियुक्ति
- प्रदेश में आज से चढ़ेगा पारा, बढ़ेगी गर्मी, इन जिलों में दिन का तापमान 40 डिग्री के पार
- अपनी कुंडली खोलने को तैयार नहीं सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय
- विद्यालय प्रबंधक की सशर्त जमानत मंजूर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इन पांच भाषाओं को शास्त्रत्त्ीय भाषा का दर्जा देने का फैसला किया गया। सरकार के इस निर्णय से इन भाषाओं को बढ़ावा मिलेगा। सरकार ने मराठी को शास्त्रत्त्ीय भाषा घोषित करने का फैसला ऐसे वक्त किया है, जब जल्द ही वहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि शास्त्रत्त्ीय भाषाएं भारत की गहन और प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की संरक्षक के रूप में काम करती हैं। संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार ने अक्तूबर 2004 में शास्त्रत्त्ीय भाषाओं के रूप में भाषाओं की एक नई श्रेणी बनाने का फैसला किया था, जिसमें तमिल को शास्त्रत्त्ीय भाषा घोषित किया गया और शास्त्रीय भाषा के दर्जे के लिए मानदंड भी निर्धारित किए थे।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को चेन्नई मेट्रो के फेस दो मंजूरी दे दी है। इस पर 63246 करोड़ लागत आएगी।