Home PRIMARY KA MASTER NEWS ■ हेल्थ पॉलिसी खरीदने में किन 7 बातों का रखें ध्यान?

■ हेल्थ पॉलिसी खरीदने में किन 7 बातों का रखें ध्यान?

by Manju Maurya

✍️ निर्भय सिंह,लखनऊ

ET Bureau

लगातार बढ़ते मेडिकल खर्च के इस दौर में मेडिक्लेम पॉलिसी जल्द से जल्द ले लेने में ही समझदारी है।
कुछ दिन पहले बाइक से हुई दुर्घटना में अक्षत रस्तोगी के पैर की हड्डी टूट गयी.
जब वे अस्पताल पहुंचे तो उन्हें पता लगा उनके सिर में हेयर लाइन फ्रैक्चर भी हुआ है. इलाज का खर्च दो-तीन लाख रुपये आ सकता है. रस्तोगी को यह पैसा अपनी जेब से खर्च करना पड़ा।

क़ानूनी सलाह उपलब्ध कराने वाली फर्म कंज्यूमर साथी के सीईओ मानव बजाज ने कहा, ‘स्वास्थ्य पर खर्च लगातार बढ़ रहा है और अब मामूली बीमारियों के इलाज में भी लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं. ऐसे में समय से हेल्थ इंश्योरेंस लेना जरूरी है. यह आपकी जेब पर पड़ने वाले भार को कम करने में मदद करता है.’

क्या है हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी जरूरत?

केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि मेडिकल इमरजेंसी के मामले में 80 फीसदी केस पैसे की दिक्कत की वजह से बिगड़ जाते हैं. किसी दुर्घटना की स्थिति में न सिर्फ इलाज पर आपको पैसे खर्च करने पड़ते हैं, बल्कि आपकी कमाने की क्षमता भी घट जाती है. इस हिसाब से दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति पर दोहरी मार पड़ती है।

हम आपको हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़ी 7 अहम बातें बता रहे हैं:

1.पैसे बर्बाद नहीं हो रहे हैं.
बहुत से लोग मेडिक्लेम या हेल्थ इंश्योरेंस लेने को पैसे की बर्बादी मानते हैं।
सर्टिफाइड फानेंशियल प्लानर सामंत सिक्का ने कहा, ‘अगर आपको इसका क्लेम लेने की जरूरत नहीं पड़े तो बहुत अच्छी बात है. स्वस्थ रहने और संभलकर रहने का कोई विकल्प नहीं, लेकिन अगर कभी आपको जरूरत पड़ ही जाए तो यह आपकी जेब में छेद होने से बचा सकता है. मामूली सा प्रीमियम चुकाने के बाद पांच-सात लाख रुपये का हेल्थ कवर लेना समझदारी की बात है।

2.तुलना करें, फिर खरीदें स्वास्थ्य बीमा

हेल्थ प्लान लेने से पहले उसकी शर्त को ध्यान से समझें. अगर खुद पढ़कर समझ नहीं आ रहा हो तो किसी जानकर की मदद लें. ऑनलाइन साईट पर तुलना करने की और सभी कंपनियों के प्लान की डीटेल जानकारी उपलब्ध है।

हेल्थ पॉलिसी ध्यान से हर क्लॉज को समझें, फिर प्रीमियम चुकाएं. गंभीर बीमारी, पहले से मौजूद बीमारी और एक्सीडेंट के मामले में कंपनी की देनदारी को समझकर प्लान खरीदें।

  1. जल्द खरीदने पर प्रीमियम कम

निवेश के मामले में कहा जाता है कि जल्द शुरुआत से बड़ी संपत्ति बनाने में मदद मिलती है. हेल्थ कवर के मामले में कहा जाता है कि जल्द कवर लेंगे तो कम प्रीमियम चुकाना पड़ेगा.
अगर आप 40 साल की उम्र से पहले कवर लेते हैं तो आपको बिना शर्त के अधिकतम फायदा मिल सकता है. दीपाली ने कहा, ‘युवाओं को आमतौर पर बीमारियां कम होती हैं. इस लिहाज से बीमा देने वाली कंपनियां उनके लिए प्रीमियम कम रखती हैं.’
हर साल इसे समय से रिन्यू करते रहने से आपको नो क्लेम बोनस का लाभ मिलता रहेगा. एक मध्य आय वर्ग के शादीशुदा व्यक्ति को कम से कम पांच लाख रुपये का कवर लेना चाहिए।

  1. ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है
    हेल्थ इंश्योरेंस लेते वक्त बीमा कंपनी को अपने मेडिकल रिकॉर्ड के बारे में सही-सही जानकारी दें. अगर आप कुछ गलत जानकारी देते हैं तो स्वास्थ्य बीमा कंपनी आपको क्लेम देने से मना कर सकती है, जिससे इलाज के दौरान आपको दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.
    सिक्का ने कहा, ‘हेल्थ प्लान लेते वक्त पुरानी बीमारियों को छुपाना गलत है. बीमा कंपनी को साफ़-साफ़ बताएं भले ही आपको प्रीमियम अधिक चुकाना पड़े. सभी जानकारी ले लें और फिर सोच समझकर फैसले लें.’
    सिक्का ने कहा कि इलाज के वक्त या उसके बाद क्लेम खरिज हो जाने का दिमाग पर बुरा असर पड़ता है, इसलिए इसकी नौबत ही न आने दें।
  2. क्या शामिल नहीं है, इसे जानना जरूरी

मेडिकल इंश्योरेंस में कुछ चीजें शामिल नहीं होती. हर बीमा कंपनी के अपने नियम होते हैं और उस हिसाब से वह कंपनी पॉलिसी डिजाइन करती हैं.
हेल्थ पॉलिसी खरीदने से पहले यह समझ लें कि उसमें क्या शामिल नहीं है. कुछ पालिसी में राइडर के तहत गंभीर बीमारियों का कवर लिया जा सकता है तो कुछ में घरेलू वजहों से हुई दुर्घटना के मामले में कवरेज नहीं मिलती. इन सब चीजों को क्लियर कर ही पॉलिसी खरीदें।

  1. पहले से जारी बीमारी पर पॉलिसी न लें

अगर आपने कोई क्रिटिकल इलनेस प्लान लिया है जिसमें लंबी अवधि तक इलाज की जरूरत है तो इस स्थिति में क्लेम करने का मतलब आपके प्रीमियम का लगातार बढ़ते जाना है. नयी पॉलिसी लेने के इस जाल में न फंसें. बजाज ने कहा, ‘ऐसी पॉलिसी लें जिसे जीवन में किसी भी समय रिन्यू कराया जा सके।

हेल्थ कवर का उद्देश्य बड़ी उम्र में बीमारियों के इलाज पर आने वाले खर्च से वित्तीय सुरक्षा है, इसका ध्यान रखें.’ बजाज ने कहा कि बड़ी उम्र में बीमारियों का हमला भी अधिक होता है और आम तौर पर इलाज कराने के लिए पैसे भी नहीं होते।

  1. लिमिट/सब लिमिट वाला प्लान ना लें
    अस्पताल में कमरे के किराये की सीमा जैसी लिमिट से बचें. यह आपके हाथ में नहीं है कि आपके इलाज के दौरान आपको किस कमरे में रखा जाय. खर्च के लिए स्वास्थ्य बीमा कंपनी द्वारा कोई सब लिमिट तय किया जाना आपके लिए ठीक नहीं है. हेल्थ पॉलिसी खरीदते वक्त इस बात का ध्यान रखें और ऐसी पॉलिसी न लें।

हेल्थ पालिसी सम्बन्धी किसी भी जानकारी के लिए आप इस नम्बर पर कॉल कर सकते हैं…

एस. के.श्रीवास्तव (हमारे पड़ोसी और घनिष्ठ मित्र)

मो.9389436915

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