अदालतों में सरकारी विभाग अब विरोधाभासी जवाब दाखिल नहीं कर पाएंगे। किसी मामले में अगर दो विभाग में मतभेद होगा तो उसका पहले उच्च स्तर समाधान कराया जाएगा। इसके बाद काउंटर एफिडेविट दाखिल हो सकेगा।
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यही नहीं अब सारे जवाब समय से, सही से देने होंगे ताकि अदालतों में गड़बड़ जवाब से सरकार की किरकिरी न हो सके और सरकार का रुख सही से अदालत के सामने आ सके। हाल में अदालतों ने प्रतिशपथ पत्र दाखिल करने के मामले में अधिकारियों के लापरवाही भरे रवैये पर नाराजगी जताई है। प्रमुख सचिव न्याय विनोद सिंह रावत ने इस संबंध में आदेश जारी कर कहा कि देखने में आया है कि नोटरी अथवा शपथ आयुक्त द्वारा प्रतिशपथ पत्र के साथ लगे दस्तावेज पठनीय नहीं होते हैं कभी-कभी विधिक भी नहीं होते हैं।
यह स्थिति अच्छी नहीं है। यही नहीं पहले जारी आदेशों का भी पालन नहीं हो रहा है।