अदालतों में सरकारी विभाग अब विरोधाभासी जवाब दाखिल नहीं कर पाएंगे। किसी मामले में अगर दो विभाग में मतभेद होगा तो उसका पहले उच्च स्तर समाधान कराया जाएगा। इसके बाद काउंटर एफिडेविट दाखिल हो सकेगा।

- एक कस्तूरबा-एक खेल योजना से सिखाएंगे छात्राओं को
- स्मार्ट क्लास में ड्रिंक करती हैं मैम, एसी लगा है, फिर वहीं सो जाती हैं👉 आवासीय बालिका विद्यालय की छात्राओं ने लगाए गंभीर आरोप, कहा- विद्यालय परिसर में रहने वाली कई छात्राएं गर्भवती
- Primary ka master: राजकीय माध्यमिक स्कूलों में मानदेय पर रखे जाएंगे शिक्षक
- नौ मीटर चौड़ी सड़क पर भी खोल सकेंगे स्कूल से लेकर डिग्री कॉलेज
- 90 स्कूलों में एक भी नए विद्यार्थी का नहीं हुआ दाखिला, नोटिस
यही नहीं अब सारे जवाब समय से, सही से देने होंगे ताकि अदालतों में गड़बड़ जवाब से सरकार की किरकिरी न हो सके और सरकार का रुख सही से अदालत के सामने आ सके। हाल में अदालतों ने प्रतिशपथ पत्र दाखिल करने के मामले में अधिकारियों के लापरवाही भरे रवैये पर नाराजगी जताई है। प्रमुख सचिव न्याय विनोद सिंह रावत ने इस संबंध में आदेश जारी कर कहा कि देखने में आया है कि नोटरी अथवा शपथ आयुक्त द्वारा प्रतिशपथ पत्र के साथ लगे दस्तावेज पठनीय नहीं होते हैं कभी-कभी विधिक भी नहीं होते हैं।
यह स्थिति अच्छी नहीं है। यही नहीं पहले जारी आदेशों का भी पालन नहीं हो रहा है।