प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि तलाकशुदा महिलाकर्मी की मृत्यु के बाद उसके आश्रित बेटे- बेटियां ही पारिवारिक पेंशन व अन्य सेवा लाभों के हकदार हैं। तलाकशुदा मामला 3 पति को उसके सेवा लाभों का हकदार नहीं माना जा सकता।
यह फैसला न्यायमूर्ति नीरज तिवारी की अदालत ने बस्ती के नियाज अहमद की ओर मृतक मां के मृत्यु सह-सेवानिवृत्ति देयकों के भुगतान करने की मांग वाली याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने जिला पंचायत राज अधिकारी बस्ती (डीपीआरओ) को चार हफ्ते में याची को उसकी मां के मृत्यु-सह- सेवानिवृत्ति लाभों का भुगतान करने का आदेश दिया है। मामला बस्ती का है। याची की मां
नजीबुन्निशा जिला पंचायती राज अधिकारी, बस्ती के कार्यालय में सफाईकर्मी के पद पर तैनात थी। सेवाकाल में ही छह जून 2016 को शरीयत के मुताबिक नजीबुन्निशा का उसके पति मो. उमर से तलाक हो चुका था। वह अपने बच्चों याची नियाज अहमद, सुहेल अहमद, उलमेनसिवा, उलमेहबीबा, जमाल अहमद और हूर बानो संग रह रही थी। इसी बीच 26 सितंबर 2020 को उसकी मृत्यु हो गई।
इसके बाद उसके बेटे नियाज ने डीपीआरओ के समक्ष मां के मृत्यु सह-सेवानिवृत्ति देयकों के भुगतान का दावा किया। लेकिन, उसके दावे पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की सुनवाई के दौरान जवाब तलब किए जाने पर डीपीआरओ ने हलफनामा दाखिल किया। 23 दिसंबर 2016 को जारी शासनादेश का हवाला देते हुए बताया कि महिलाकर्मी की मौत के बाद मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ केवल उसके जीवित पति को ही दिया जा सकता है। मौजूदा मामले में नजीबुन्निशा के पति जीवित है। इसलिए याची बेटे को भुगतान नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने पति मो. उमर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। मो. उमर ने बताया कि उसका तलाक हो चुका है।