उन्नाव। शिक्षकों के हो रहे जीवन कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से शिक्षक और छात्र के बीच की दूरी कम करने का प्रयास किया जा रहा है। इसका उद्देय शिक्षा में और सुधार करना है। परिषदीय स्कूलों में छात्रों के नामांकन से लेकर पढ़ाई तक में छात्र और शिक्षक के बीच समन्वय आहम कड़ी हैं। जब शिक्षक और शिक्षा सही होंगे तो छात्र संख्या भी बढ़ेगी। इसी उद्देश्य से डायट में ब्लॉकवार शिक्षकों

का जीवन कौशल प्रशिक्षण कराया जा रहा है।
डायट प्रक्क्ता डॉ. निधि रॉय के मुताबिक शिक्षक-छात्रों को उनके पाठ्यक्रम से संबंधित जटिल अवधारणाएं प्रस्तुत कर सकते हैं और उन्हें शोध, मूल्यांकन, विश्लेषण और समाधान निकालने की प्रक्रिया के माध्यम से मार्गदर्शन भी कर सकते हैं।
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- एक शिक्षक का बेटा होने के नाते हर शिक्षक से मेरा पारिवारिक संबंध है और उनका दर्द मेरा दर्द है।: अखिलेश यादव
- इस वीडियो को अंत तक शांत और ठंडे दिमाग से देखें। एक बार जब आप देखना शुरू कर देंगे, तो आपको पता ही नहीं चलेगा कि वीडियो कब खत्म हो जाएगा।* *आप तय करें या सोचीये कि क्या करना है?* *🙏🙏कृपया बच्चों और परिवार समूहों के साथ साझा करें🙏🙏🙏🙏
यह प्रक्रिया न केवल उन्हें विषय की गहन समझ प्रदान करेगी बल्कि उनकी आलोचनात्मक सोच और समस्या समाधान कौशल को भी निखारेगी। इससे छात्रों को अपनी क्षमताओं का
वास्तविक रूप से आंकलन करने में मदद मिलती है, जिससे सकारात्मक आत्म-धारणा में योगदान मिलता है। साथ ही संबंधित विषय भी मजबूत होते हैं।
42 छात्र-छत्राओं की हुई जांच
पुरवा। सीएचसी की ओर से शनिवार को काजीखेड़ा स्थित एसआर फाउंडेशन फार्मेसी कॉलेज में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। इसमें फार्मेसी के 42 छात्र-छात्राओं की जांच कर उन्हें रोगों से बचने की सलाह दी गई। इसके अलावा उन्हें एचआईवी से बचाव और लक्षण की जानकारी भी दी गई। इस दौरान परामर्शदाता महेश कुमार, वैशाली कश्यप, डीके पटेल, सौरभ पटेल, कोमल पटेल, अर्चना बाजपेई व अन्य मौजूद रहे। (संकर)