सैफई। ब्लाक क्षेत्र के उच्च प्राथमिक विद्यालय रामेत में तैनात सहायक अध्यापक लीना सिंह चौहान को बीईओ पर लगए गंभीर आरोप सीडीओ की जांच में गलत पाए गए हैं।
सहायक शिक्षिका को निलंबित कर बीईओ कार्यालय से संबद्ध किया गया है। बीईओ नवाब वर्मा ने 30 जनवरी को उच्च प्राथमिक विद्यालय रामेत का निरीक्षण करने पहुंचे थे। इस दौरान वह अनुपस्थिति मिली थीं।
बीएसए ने लीना सिंह पर वेतन रोकने की कार्रवाई की थी। इसके बाद 20 जुलाई को बीईओ वर्मा दोबारा रीक्षण करने पहुंचे तो सहायक अध्यापक फिर से अनुपस्थिति मिली थीं। इस पर उन्होंने अनुपस्थित दर्ज कर दी।
इससे नाराज सहायक अध्यापक ने बीईओ पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए डीएम से शिकायत की और सोशल मीडिया पर शिकायत पत्र को वायरल कर दिया था।
सैफई : खंड शिक्षा अधिकारी सैफई नवाब सिंह वर्मा पर गंभीर आरोप लगाने, जांच का आदेश पत्र व गलत शिकायती पत्र इंटरनेट मीडिया में प्रचलित कर अधिकारी की छवि धूमिल करने, शिक्षण कार्य में रुचि न लेने, लगातार अनुपस्थित रहने आदि आरोपों में प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए उच्च प्राथमिक विद्यालय रामेत में तैनात सहायक अध्यापिका लीना सिंह चौहान को बीएसए ने निलंबित कर बीईओ कार्यालय जसवंतनगर से संबद्ध किया है।
बीईओ सैफई ने 30 जनवरी को उच्च प्राथमिक विद्यालय रामेत का निरीक्षण किया था, तब सहायक अध्यापिका लीना सिंह चौहान अनुपस्थित मिली थीं, जिनकी पोर्टल व उपस्थिति पंजिका में अनुपस्थित लगाई गई, जिस पर बीएसए ने लीना सिंह का वेतन अवरुद्ध कर दिया। इसके बाद 20 जुलाई को पुनः बीईओ के निरीक्षण में अनुपस्थित मिलीं। आरोप है कि इसके बाद सहायक अध्यापिका के पति ने बीईओ से उनके कार्यालय में मिलकर अवरुद्ध वेतन आहरित करने का दबाव बनाया, जिस पर बीईओ ने इन्कार कर दिया। इसी बात से नाराज होकर लीना सिंह ने
• सीडीओ द्वारा गठित कमेटी की जांच में शिकायत निकली फर्जी
• जांच का आदेश पत्र प्रचलित कर छवि की थी धूमिल
कई गंभीर आरोप लगाकर जिलाधिकारी अवनीश राय से शिकायत की थी। जिस पर जिलाधिकारी ने सीडीओ व बीएसए को जांच करने का निर्देश दिया था। बीएसए ने लीना सिंह को बयान दर्ज कराने हेतु पत्र जारी किया। उस पत्र को लीना सिंह ने इंटरनेट मीडिया में प्रचलित कर दिया।
सीडीओ ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था जिसमें जिला पूर्ति अधिकारी, जिला सूचना अधिकारी, जिला प्रोवेशन अधिकारी को सदस्य नामित किया था। कमेटी द्वारा पूरे मामले की गंभीरता से जांच की गई जिसमें शिकायत झूठी पाई गई और शिकायतकर्ता द्वारा कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराया गया। इस पर जांच कमेटी ने बीईओ को क्लीन चिट दे दी। बीएसए की जांच में यह तथ्य प्रकाश में आया कि लीना सिंह ने बीईओ पर आरोप इसलिए लगाए ताकि उन्हें निरीक्षण के समय अनुपस्थित न किया जाए।