प्रयागराज। उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन के साथ ही आयोग को कई लंबित भर्तियों और मुकदमों की जिम्मेदारी भी मिली है। काम की अधिकता के कारण आयोग नई भर्तियों पर कोई निर्णय नहीं ले पा रहा है।
ऐसे में लंबित भर्तियों और मुकदमों को निपटाने के साथ नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के लिए आयोग की अध्यक्ष प्रो. कीर्ति पांडेय ने अफसरों के लिए प्रतिदिन का लक्ष्य निर्धारित कर दिया है।
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आयोग ने हाल ही में अशासकीय कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर रसायन विज्ञान के शेष 13 पदों का लंबित चयन परिणाम
घोषित किया है। इसके साथ ही आयोग पर टीजीटी जीव विज्ञान के 35 पदों पर लंबित इंटरव्यू कराने और चयन परिणाम जारी करने का दबाव बढ़ गया है।
आयोग के गठन से पहले दो बड़ी भर्तियां शुरू होने थीं लेकिन बाद में दोनों भर्तियां भी आयोग के जिम्मे कर दी गई। इनमें अशासकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 1017 पदों और अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में टीजीटी-पीजीटी के 4163 पदों पर भर्ती शामिल है।
आयोग पर दोनों भर्तियों की परीक्षा तिथि घोषित करने का दबाव है।
इन लंबित भर्तियों को पूरा कराने के साथ आयोग को लंबित मुकदमों का भी निस्तारण कराना है, क्योंकि शिक्षा सेवा चयन आयोग में उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का विलय होने के बाद उनके मुकदमे भी आयोग को हस्तांतरित कर दिए गए हैं।
आयोग में अब तक विधि अधिकारी की नियुक्ति नहीं हुई है, सो मुकदमों के निस्तारण की जिम्मेदारी भी दूसरे कर्मचारियों और अफसरों पर है।
आयोग में स्थायी उप सचिव के चार पद हैं, जिनमें से एक पद पर कार्यवाहक उप सचिव तैनात
हैं जबकि तीन पद रिक्त पड़े हैं। इसके साथ ही आईटी विभाग में डाटा एनालिस्ट का पद भी रिक्त पड़ा है। इन महत्वपूर्ण पदों के खाली होने के कारण भी आयोग के कार्यों में बाधा आ रही है।
आयोग के सूत्रों का कहना है कि अध्यक्ष ने सभी कर्मचारियों और अफसरों के लिए रोज का लक्ष्य निर्धारित कर दिया है। कर्मचारियों और अधिकारियों
को प्रतिदिन जो काम दिया जाएगा, शाम के वक्त उन्हें इसकी रिपोर्ट अध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत करनी होती है। इनमें लंबित भर्तियां पूरी कराने, मुकदमों के निस्तारण के साथ नई भर्ती प्रक्रिया शुरू किए जाने से संबंधित कार्य शामिल हैं।