नई दिल्ली, । उच्चतम न्यायालय ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम का कथित उल्लंघन करने वाले मदरसों की मान्यता वापस लेने और छात्रों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित करने संबंधित राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से जारी पत्र पर अमल करने पर केंद्र,राज्य सरकारों को रोक लगाने का सोमवार को आदेश दिया। पत्र में राज्यों से गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित करने के लिए कहा गया था।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जेबी पार्दीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर ये आदेश पारित किया। वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने दलील देते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पत्र और उत्तर प्रदेश तथा त्रिपुरा सहित कुछ राज्यों की मदरसे से संबंधित उक्त कार्रवाई पर रोक की गुहार लगाई थी। मुस्लिम संगठन ने इसे चुनौती दी। एनसीपीसीआर ने सात जून, 2024 को यूपी सरकार को निर्देश दिया था कि आरटीई का पालन न करने वाले मदरसों की मान्यता वापस लें। कोर्ट ने कहा, एनसीपीसीआर के 7 जून, 25 जून के पत्राचार के अनुसार यूपी के मुख्य सचिव के 26 जून, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से जारी 10 जुलाई, त्रिपुरा के 28 अगस्त के जारी विचारों के आदान-प्रदान पर कार्रवाई नहीं होगी। याचिकाकर्ता को याचिका में सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को पक्षकार बनाने की भी स्वतंत्रता दी।