संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों में पढ़ रहे 50 हजार से अधिक विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति खाते के फेर में फंसी है। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने ऑफलाइन आवेदन की तिथि आठ नवंबर तक बढ़ा दी है, ताकि अधिक से अधिक विद्यार्थी आवेदन कर सकें। वर्तमान में कक्षा छह से आचार्य (परास्नातक) तक 1,21,977 विद्यार्थी संस्कृत का अध्ययन कर रहे हैं।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 27 अक्तूबर को वाराणसी में संस्कृत विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति योजना शुरू करते हुए पहले चरण में 69,195 विद्यार्थियों को य्586 लाख की छात्रवृत्ति का वितरण किया था। बचे हुए 52,782 विद्यार्थियों को योजना का लाभ दिलाने के लिए अफसर दिन-रात एक किए हुए हैं। पूरा जोर विद्यार्थियों के खाते खुलवाने पर हैं और जिनके खाते नहीं खुल पा रहे हैं उनके अभिभावकों के खाते में सह खाताधारक बनाया जा रहा है। सिर्फ उन्हीं विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति नहीं मिलेगी जिनकी उपस्थिति 75 प्रतिशत से कम है या पिछली कक्षा में 50 फीसदी कम अंक मिले हैं। आय सीमा का प्रतिबंध नहीं होने के कारण सभी छात्र इस योजना के दायरे में आ रहे हैं।
सैकड़ों नेपाली छात्रों को भी नहीं मिलेगी छात्रवृत्ति
छात्रवृत्ति योजना का लाभ दूसरे देशों के विद्यार्थियों को नहीं मिलेगा। यूपी के गोरखपुर, काशी समेत अन्य जिलों में तकरीबन 300 नेपाली विद्यार्थी संस्कृत का अध्ययन कर रहे हैं। चूंकि छात्रवृत्ति योजना को आधार से जोड़ दिया गया है इसलिए विदेशी छात्र इस दायरे से बाहर हो जाएंगे। इसके अलावा उन विद्यार्थियों को भी छात्रवृत्ति नहीं मिलेगी जो किसी दूसरी योजना के तहत छात्रवृत्ति प्राप्त कर रहे हैं।