नई दिल्ली। शादी का झांसा देकर बार-बार दुष्कर्म करने से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि सहमति वाला रिश्ता विवाह तक नहीं पहुंच पाए, तो उसे आपराधिक रंग नहीं दिया जा सकता। शीर्ष कोर्ट ने आरोपी युवक के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द करते हुए कहा, सहमति वाले रिश्ते में सिर्फ ब्रेकअप हो जाने पर दुष्कर्म का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने आरोपी अपीलकर्ता की यह दलील स्वीकार कर ली कि युवती की सहमति से ही उनके बीच लंबे समय तक संबंध रहे थे।
पीठ ने कहा, युवती की सहमति के बिना आरोपी के साथ अरसे तक उसका रिश्ता बना रहना अकल्पनीय है। कोर्ट ने इस आरोप पर आश्चर्य जताया कि आरोपी ने शिकायतकर्ता का पता खोजा और उससे जबरन संबंध बनाए। पीठ ने कहा, आरोपी को शिकायतकर्ता का पता तब तक नहीं मिल सकता था, जब तक कि वह खुद न बताए। बिना बताए घर का पता खोज लेना असंभव होगा। कोर्ट ने कहा, यह अकल्पनीय है कि शिकायतकर्ता मर्जी के बिना अपीलकर्ता से मिलना जारी रखेगी या उससे अरसे तक संबंध बनाए रखेगी