अनुसंधान
कई लोगों को देर रात तक कार्य करना पड़ता है। स्वास्थ्य पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। एक शोध में सामने आया है कि लंबी अवधि तक देर रात तक कार्य करने वालों में लिवर द्वारा मस्तिष्क को भेजे जाने वाला सिग्नल बाधित होने लगते हैं। इसके कारण बायोलाजिकल क्लाक बिगड़ जाता है, जिसका परिणाम अधिक भोजन करना और मोटापा
जैसी समस्याएं होती हैं। अमेरिका के पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि देर रात तक कार्य करने वालों में लिवर की आंतरिक घड़ी और उसके सिग्नल बाधित हो जाते हैं, जिससे
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अनियमित समय पर ज्यादा खाने की प्रवृति बढ़ जाती है। यह शोध जर्नल साइंस में प्रकाशित किया गया है। इसमें पता चला है कि वेगस तंत्रिका के विशिष्ट हिस्सों को लक्षित करने से देर रात तक कार्य करने वालों में अधिक खाने की समस्या से निपटने में मदद मिल सकती है, क्योंकि इसी तंत्रिका के माध्यम से लिवर मस्तिष्क के साथ संचार करता है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि चूहों में आरईवी-ईआरबी जीन शरीर की घड़ी को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इन जीनों को बंद करने के बाद चूहों के लिवर में एक दोषपूर्ण घड़ी विकसित हो गई, जिसके कारण खाने की आदतों में नाटकीय बदलाव आया। चूहों ने कम सक्रिय घंटों के दौरान अधिक भोजन किया