शाहजहांपुर। नगर के प्राथमिक व कंपोजिट स्कूलों के करीब पांच हजार विद्यार्थियों की जिम्मेदारी 46 शिक्षकों पर है। इन विद्यालयों में तैनात पुरुष शिक्षक विद्यालयों के अतिरिक्त चार्ज के तले दबे हुए हैं। इससे वे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं।
इससे विद्यालय के डिजिटल कार्य भी अटक रहे हैं। शहरी क्षेत्र में बेसिक के 49 विद्यालयों का संचालन होता है। पूर्व में पर्याप्त शिक्षक होने के चलते प्रधानाध्यापकों की कमी नहीं थी, लेकिन भर्ती व ग्रामीण के शिक्षकों के संबद्धीकरण पर रोक के चलते व्यवस्था पटरी से उतरती गई।
शिक्षकों के सेवानिवृत्त होने के बाद. पुरुष शिक्षकों पर बोझ बढ़ता गया। वर्तमान में 46 शिक्षक स्कूलों की व्यवस्था संभाले हैं। इनमें आठ पुरुष शिक्षकों के पास एक से अधिक स्कूलों का चार्ज है। पढ़ाई के नाम पर मात्र औपचारिकता शिक्षामित्र के जरिये निभाई जा रही है। ऐसे में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है।
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शिक्षकों की मानें तो महिला शिक्षकों के पाए एक विद्यालय का चार्ज है, जबकि पुरुष शिक्षकों के पास अतिरिक्त स्कूलों की जिम्मेदारी है। वे पढ़ाने का कार्य नहीं कर पाते साथ ही स्कूल के डिजिटल कार्य भी अटकते हैं।
नगर में टूट रहे नियम
आरटीई के नियम नगर के विद्यालयों में टूट रहे हैं। नियम के अनुसार, सौ बच्चों पर तीन शिक्षक होने चाहिए, लेकिन यहां पर पांच हजार बच्चों की जिम्मेदारी मात्र 46 शिक्षक ही संभाल रहे हैं।
इनके पास है अतिरिक्त चार्ज
शिक्षक इमरान सईद के पास चार, एबीआरसी लतीफ के पास दो, अतहर कादरी के पास तीन, शमशेर व सरदार खां के पास उनके स्कूल के अतिरिक्त एक विद्यालय का चार्ज है। शिक्षक बताते हैं कि अलग-अलग स्कूलों के चार्ज होने के चलते एक मोबाइल से सूचनाएं अपडेट करने में काफी दिक्कत आती है।