आयोजन: मस्ती की पाठशाला में कला की कक्षा, बच्चों ने सीखीं बारीकियां
लखनऊ, स्कूल जाने वाले नन्हे मुन्हे बच्चों के लिए शुक्रवार से शुरू हुआ तीन दिवसीय बुलबुले फेस्टिवल खास रहा। स्वतंत्र तालीम द्वारा लिटरेसी हाउस में हुए फेस्टिवल के दूसरे संस्करण में बच्चों के चेहरों पर खुशी थी। कोई रंगों से कैनवस पर अपनी कल्पनाए उकेर रहा था तो कोई कार्यशाला में कला की बारीकियां सीख रहा था।
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मोबाइल, स्कूल के होमवर्क, टीवी से दूर ये बच्चे मदमस्त होकर जिन्दगी का लुत्फ उठा रहे थे। फेस्टिवल के पहले दिन तकरीबन 400 बच्चे शामिल हुए। जिसमें बच्चों ने तबला की कार्यशाला में तबले पर अंगुलियां फेरीं, फिल्म अभिनय और थिएटर की कार्यशाला में कथक नृत्य को भी समझा। शिक्षा पर हुई कार्यशाला में बच्चों की काउंसलिंग की गई। फेस्टिवल में क्यूरोसिटी जोन भी बनाया गया है। जहां बच्चों की जिज्ञासाओं के जवाब दिए गए। इस जोन में बच्चों को बताया गया कि कैसे विभिन्न इंद्रियों जैसे देखने, सूंघने, सुनने और छूने के माध्यम से आसपास की दुनिया के बारे में ज्यादा गहराई से समझने में मदद मिलती है। आयोजन के पहले दिन स्टोरी सेशन भी खास रहा। ए लाइट स्टोरी में रास्ते में दो दोस्तों की कहानी के साथ क्षमताओं की अद्भत दास्तान सुनाकर बच्चों को प्रेरित किया। कार्यक्रम में शामिल अभिभावक और शिक्षिका नीता ने बताया कि ऐसा फेस्टिवल पहली बार देखा जो सिर्फ बच्चों के लिए है। जिसमें बच्चों को मजे मजे में बहुत कुछ सिखाया गया।
आयोजन का मकसद बच्चों को प्रेरित करना
बच्चों के लिए विशाल सुकमनी ने लाइट शो की मनोरम प्रस्तुति दी। पहले दिन आठ सरकारी स्कूलों के बच्चे और शिक्षक फेस्टिवल में शामिल हुए, अन्य बच्चे भी शामिल रहे। स्वतंत्र तालीम टीम की ओर से बताया गया कि हमारी कोशिश है कि शिक्षा केवल बच्चों के मस्तिष्क तक ही न पंहुचे बल्कि उनके मूल्यों और आत्मा तक पंहुचे। हमारा प्रयास है कि उन्हें स्वतंत्र बनाएं, नई चीजें सीखने, विकास करने, संवाद करने के लिए प्रेरित करें।