सोनभद्र: म्योरपुर, हिंदुस्तान संवाद। देश के अति पिछड़े जिले में शामिल सोनभद्र में शिक्षा व्यवस्था बदहाल है। जिसके चलते नौनिहालों के शिक्षा का बंटाधार हो रहा है। शिक्षकों की तैनाती में भी जमकर अनियमितता बरती गई है। किसी विद्यालयों में 18 शिक्षकों की तैनाती है तो कहीं एक भी शिक्षक नहीं हैं। इन जगहों पर शिक्षामित्र व अनुदेशक पढ़ाई का जिम्मा संभाल रहे हैं। इसको लेकर अभिभावकों में आक्रोश देखा जा रहा है।
दक्षिणांचल के सबसे बड़ी ग्राम पंचायत कुल डोमरी और आसपास के ग्राम पंचायतों के प्राथमिक और जूनियर विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती में जमकर मनमानी की गई है। कुल डोमरी में लगभग नौ कंपोजिट और 25 प्राथमिक विद्यालय है। जिसमे अवराडांड में स्थित प्राथमिक विद्यालय में 18 शिक्षक नियुक्त है, जिसमें 14 शिक्षक व तीन शिक्षामित्र के साथ एक सहायक अध्यापक की तैनाती की गई है।
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प्राथमिक विद्यालय रणहोर में नौ शिक्षक तैनात है। जबकि आदिवासी बाहुल्य प्राथमिक विद्यालय डेनिया में दो साल से एक शिक्षिका के भरोसे 102 छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं प्राथमिक विद्यालय बरोहिया में सौ से ज्यादा छात्र-छात्राओं के लिए एक भी शिक्षक की तैनाती नहीं हुई है। यहां पर दूसरे विद्यालयों के शिक्षकों को अटैच करके पढ़ाई की जा रही है। इस तरह से शिक्षकों की तैनाती में जमकर मनमानी की गई है। विद्यालयों के शिक्षकों के नहीं रहने से शिक्षण का स्तर गिरता जा रहा है। जिससे छात्रों की रुचि भी पढ़ाई में नहीं लग रही है। ग्रामीण अंचलों में प्राथमिक विद्यालय ही शिक्षण का एक सहारा है। लेकिन जहां शिक्षक पर्याप्त होने चाहिए वहां शिक्षक कम है, जबकि कुछ जगहों पर शिक्षकों की भरमार है। शिक्षकों की तैनाती में मनमानी की गई है।
सूत्रों की माने तो सड़क किनारे रेणुकूट से लेकर शक्तिनगर तक ज्यादा शिक्षक तैनात है और ग्रामीण क्षेत्र में अपेक्षा कृत कम शिक्षकों की तैनाती है। इसको लेकर अभिभावकों में जिला प्रशासन के खिलाफ आक्रोश भी देखा जा रहा है। अभिभावक रामजतन शुक्ला, लल्लन, सुरेश, बाल दत्त, बालम खरवार, शिव प्रसाद, उदित आदि ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी व जिलाधिकारी का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुए मनमानी तैनाती की जांच करते हुए शिक्षक विहीन विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति की मांग की है। जिससे की नौनिहालों का भविष्य उज्जवल हो सके।
जिले के 129 विद्यालयों में नहीं है एक भी शिक्षक
जिले के 129 परिषदीय विद्यालयों में एक भी शिक्षकों की तैनाती नहीं की गई है। इन विद्यालयों में अनुदेशक और शिक्षामित्र कक्षाएं चला रहे हैं। जिसके चलते बच्चों का पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है। जनपद में वर्तमान में शिक्षकों के चार हजार से अधिक पद रिक्त हैं। जिसका नतीजा है कि विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के चलते बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है। शिक्षक विहिन हुए स्कूलों में बच्चों को बगल के विद्यालयों के शिक्षकों व शिक्षा मित्रों से अटैच करके पढ़ाई कराई जा रही है।
शिक्षकों की तैनाती में हम लोगों का कोई रोल नहीं हैं। शासन स्तर से शिक्षकों की तैनाती विद्यालयों में अब की जाती है। कहां कितने शिक्षक रखने हैं, इसके लिए सब ऊपर से निर्धारित किया जाता है। हम एक शिक्षक भी दूसरे विद्यालयों पर तैनात नहीं कर सकते हैं।