दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत निर्देश जारी किए
➡अपराध की सजा घर तोड़ना नहीं
➡दोषी होना घर तोड़ने का आधार नहीं
➡घर सपना है कभी न टूटे
➡लोकतंत्र में नागरिकों के अधिकार की रक्षा जरूरी
➡सरकारी शक्ति का दुरुपयोग नहीं हो सकता
➡सरकार की जिम्मेदारी,राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखें
➡बिना मुकदमे के मकान नहीं गिरा सकते
➡शासन मनमाने तरीके से मकान नहीं गिरा सकता
➡मनमाने तरीके से घर गिराया तो प्रशासन जिम्मेदार
➡मनमानी तरीके से घर गिराने पर अधिकारियों की जवाबदेही
➡संविधान में आरोपियों को भी अधिकार मिले हैं
➡बिना मुकदमे के किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता
➡प्रशासन जज नहीं बन सकता
➡अगर अवैध तरीके से घर तोड़ा तो मुआवजा मिले
➡अवैध कार्रवाई करने वाले अधिकारियों को दंडित किया जाए
➡बुलडोजर एक्शन पर मनमाना रवैया बर्दाश्त नहीं
➡अपराध की सजा देना कोर्ट का काम
➡आम आदमी का घर वर्षों की मेहनत का नतीजा
➡सिर पर छत होना भी जीने का अधिकार
➡अवैध निर्माण को जुर्माना लगाकर नियमित किया जा सकता है
➡आरोपी के अपराध की सजा पूरे परिवार को नहीं
➡एक की गलती,तो सबको मकान से वंचित नहीं कर सकते
➡आरोपी होने पर घर नहीं गिरा सकते
➡नोटिस में बताएं मकान कैसे अवैध है
➡नोटिस की जानकारी डीएम को दिया जाए
➡3 महीने में पोर्टल बनाकर सभी को नोटिस साझा करें
➡नोटिस में बताया जाए कौन सा हिस्सा अवैध है
➡अवैध निर्माण तोड़ने की वीडियोग्राफी हो
➡डीएम एक महीने में नोडल अधिकारी नियुक्त करें
➡सभी राज्यों के मुख्य सचिव को आदेश भेजा जाए
➡स्थानीय नगर निगम के मुताबिक नोटिस हो
➡बुलडोजर एक्शन पर नोटिस डाक से भेजा जाए
➡गलत कार्रवाई पर अधिकारियों को भुगतान करना होगा
➡नोटिस के 15 दिन के भीतर कोई कार्रवाई न हो.