नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में भर्ती प्रक्रिया को लेकर गुरुवार को अहम फैसला दिया। इसके तहत भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद ‘नियुक्ति के नियमों और अहर्ता की शर्तों’ में बीच में तब तक बदलाव नहीं किया जा सकता, जब तक कि नियम इसकी अनुमति न दें।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, पीएस नरसिम्हा, पंकज मिथल और मनोज मिश्रा की संविधान पीठ ने यह फैसला दिया। पीठ ने कहा, भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत में अधिसूचित चयन सूची में रखे जाने के लिए पात्रता मानदंड बीच में नहीं बदल सकते, जब तक कि मौजूदा नियम अनुमति न दें या भर्ती के लिए विज्ञापन मौजूदा नियमों के खिलाफ न हो।
पारदर्शी प्रकिया पर जोर : जस्टिस मनोज मिश्रा ने कहा, मौजूदा नियमों के अधीन बोर्ड/ निकाय भर्ती प्रक्रिया के लिए उचित प्रक्रिया तैयार कर सकते हैं, लेकिन यह पारदर्शी, गैर भेदभावपूर्ण हो। उन्होंने कहा, मौजूदा नियम नियुक्ति प्रक्रिया और अहर्ता के मानदंड के संदर्भ में भर्ती निकायों पर बाध्यकारी हैं। जहां नियम मौजूद नहीं हैं, वहां प्रशासनिक निर्देश इस अंतराल को भर सकते हैं।
रिक्तियां हैं तो नियुक्ति से इनकार नहीं : पीठ ने कहा, यह सही है कि चयन सूची में स्थान पाने से नियुक्ति का अपरिहार्य अधिकार नहीं मिलता और राज्य या भर्ती निकाय समुचित कारणों से रिक्तियों को न भरने का विकल्प चुन सकते हैं। यदि रिक्तियां हैं, तो सरकार/भर्ती बोर्ड/निकाय, चयन सूची में प्रतीक्षा या विचाराधीन आवेदक को नौकरी देने से मना नहीं कर सकते।
मानक पहले तय हों
कोर्ट ने कहा, सक्षम प्राधिकार विपरीत नियमों के अभाव में, उपयुक्त उम्मीदवार के चयन, लिखित परीक्षा, साक्षात्कार सहित विभिन्न चरणों के लिए मानक तय कर सकते हैं। यह भर्ती प्रक्रिया शुरू होने से पहले होना चाहिए। यदि प्राधिकारी को अधिकार है, तो मानक उस चरण तक पहुंचने से पहले तक तय हो सकते हैं।
सरकारी नौकरियों के लिए भर्ती प्रक्रिया विज्ञापन जारी करने से शुरू होती है और रिक्तियां भरने के साथ खत्म होती है। ऐसे में बीच में नियमों और अहर्ता की शर्तों को बदलना, खेल शुरू होने के बाद नियम बदलने के समान होगा। – सुप्रीम कोर्ट
यह था मामला
यह मामला राजस्थान हाईकोर्ट के 13 अनुवादकों की भर्ती से जुड़ा है। विज्ञापन के बाद 21 आवेदक लिखित परीक्षा और साक्षात्कार में शामिल हुए, लेकिन नियुक्ति सिर्फ तीन की हुई। बाद में, विफल आवेदकों को पता लगा कि हाईकोर्ट ने 75 अंक प्राप्त करने वालों के चयन का ही आदेश दिया था। लेकिन विज्ञापन में जिक्र नहीं था। इसके बाद 2010 में कोर्ट में अर्जी दायर की गई।
भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद शर्तों, पात्रता मनदंडों में बदलाव तभी संभव है, जब मौजूदा नियम इसकी अनुमति देता हो या नियुक्ति के लिए विज्ञापन नियमों के खिलाफ हो।
यदि मौजूदा नियमों या विज्ञापन के तहत मानदंडों में बदलाव की अनुमति है, तो उसे अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार की आवश्यकता को पूरा करना होगा। साथ ही किसी भी बदलाव को मनमानी न करने की कसौटी पर खरा उतरना होगा।