राज्य सरकार ने लखीमपुर खीरी में खेत की पैमाइश छह साल तक लटकाए रखने के मामले को लेकर भाजपा विधायक का वीडियो वायरल होने के बाद एक आईएएस व तीन पीसीएस अफसरों को निलंबित कर दिया है। चारों अधिकारियों को राजस्व परिषद से संबद्ध करते हुए जांच मंडलायुक्तों को सौंपी गई है।
नियुक्ति विभाग ने आईएएस अधिकारी अपर आयुक्त लखनऊ मंडल धनश्याम सिंह और पीसीएस अधिकारियों में अरुण कुमार सिंह एडीएम बाराबंकी, विधेश सिंह नगर मजिस्ट्रेट झांसी और रेनू एसडीएम बुलंदशहर को निलंबित किया है।
ये चारों अधिकारी समय-समय पर लखीमपुर खीरी में तैनात रहे हैं और पैमाइश के मामलों को लटाए रखने के दोषी पाए गए हैं। नियुक्ति विभाग ने इन अधिकारियों को निलंबित करते हुए इनके खिलाफ जांच बैठा दी है।
भूमि अधिग्रहण घोटाले में 10 राजस्व कर्मी निलंबित
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी जीरो टालरेंस नीति के तहत जौनपुर में हाईवे भूमि अधिग्रहण घोटाले में चार राजस्व निरीक्षक समेत 10 कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। इसमें चार करोड़ रुपये से ज्यादा का फर्जी भुगतान किया गया था। मुख्यमंत्री ने कड़ा रुख अपनाते हुए इन सभी 10 कर्मियों व अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश दे दिए हैं। नियुक्ति विभाग ने कार्रवाई के लिए संबंधित फाइल राजस्व विभाग को भेज दी है
निलंबित चार अधिकारियों के खिलाफ शुरू हुई जांच
- एक असेसमेंट ऐसा भी… साभार सोशल मीडिया
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लखनऊ, विशेष संवाददाता। पैमाइश के मामलों को लटाए रखने के दोषी मिले चारों निलंबित अधिकारी समय-समय पर लखीमपुर खीरी में तैनात रहे हैं। नियुक्ति विभाग ने इनके खिलाफ जांच बैठा दी है।
लखीमपुर खीरी के सदर भाजपा विधायक योगेश वर्मा का 24 अक्तूबर को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें वह स्कूटी पर बैठकर कलक्ट्रेट परिसर गए और बीच सड़क पर एसडीएम से लेकर कानूनगो की शिकायत करते हुए नजर आए। इस वीडियो में विधायक कह रहे थे कि सेवानिवृत्त शिक्षक विश्वेश्वर दायल की भूमि की पैमाइश के लिए घूस में 5000 रुपये लिए गए, उसे रुपये वापस कराइए।
नकहा ब्लाक के विश्वेश्वर संघ से जुड़े हुए हैं और छह साल पहले उन्होंने अपनी भूमि की पैमाइश कराने के लिए धारा-24 के तहत वाद एसडीएम के यहां दायर किया था। उनकी भूमि की मेड़बंदी तो करा दी गई थी, लेकिन कुछ दिनों बाद ही विपक्षियों से मिलकर इसे तुड़वा दिया गया। विश्वेश्वर दयाल इसकी शिकायत लेकर भाजपा विधायक के पास गए थे और वह स्कूटी पर बैठक कर कलेक्ट्रेट परिसर गए थे।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद उच्च स्तर पर इसका संज्ञान लेते हुए नियुक्ति विभाग से पूरे मामले की जांच कराने का निर्देश दिया गया। नियुक्ति विभाग ने लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी से इसकी पूरी रिपोर्ट मांगी थी। इसमें यह पूछा गया कि छह साल पहले यानी वर्ष 2019 के बाद कौन-कौन उप जिलाधिकारी, तसीलदार और नायब तहसील वहां तैनात रहा। उन्होंने पैमाइश के मामले में क्या कार्रवाई की। जिलाधिकारी से मिली रिपोर्ट के आधार पर इन चारों अफसरों को इसके लिए दोषी पाया गया है।
नियुक्ति विभाग ने लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी से इसकी पूरी रिपोर्ट मांगी थी। इसमें यह पूछा गया कि छह साल पहले यानी वर्ष 2019 के बाद कौन-कौन उप जिलाधिकारी, तसीलदार और नायब तहसील वहां तैनात रहा। उन्होंने पैमाइश के मामले में क्या कार्रवाई की। जिलाधिकारी से मिली रिपोर्ट के आधार पर इन चारों अफसरों को इसके लिए दोषी पाया गया है।
फर्जी भुगतान में दोषी पाए जाने पर किया निलंबित
लखनऊ। जौनपुर में हाईवे भूमि अधिग्रहण घोटाले मामले में नियुक्ति विभाग की रिपोर्ट में कार्यालय सक्षम प्राधिकारी भूमि अध्याप्ति, जौनपुर में तैनात राजस्व निरीक्षक संतोष तिवारी, उदयराज, शिवकुमार व बृजेश सिंह को फर्जी भुगतान में दोषी ठहराया गया है। इसके अलावा अमीन मिलानकर्ता के पद पर तैनात अनिल यादव, अनिल मंडल, हिमांशु शर्मा, रोबिन साहू, आशीष कुमार सिंह और सौरभ मौर्या भी दोषी पाए गए हैं। इस मामले में अपर जिलाधिकारी भू राजस्व व सक्षम प्राधिकारी भूमि अध्याप्ति गणेश प्रसाद को पहले ही निलंबित किया जा चुका है।