संयुक्त राष्ट्र, एजेंसी। अगले ढाई दशक में दुनिया बच्चों के लिए बहुत ज्यादा चुनौतीपूर्ण होने वाली है। उन्हें न सिर्फ जलवायु परिवर्तन की मार झेलनी पड़ेगी बल्कि तेजी से बदलती तकनीक उत्पीड़न भी बढ़ा सकती है। इतना ही नहीं, वर्ष 2050 तक दुनियाभर में बच्चों का जनसंख्या अनुपात घट जाएगा, जिससे उनके लिए नीतियां बनाने में अनदेखियों का सिलसिला शुरू हो सकता है।
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बदलती दुनिया में बच्चों का भविष्य : संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष की सालाना रिपोर्ट में बच्चों के भविष्य को लेकर चिंताओं का जिक्र किया गया है। विश्व बाल दिवस के अवसर पर ‘बदलती दुनिया में बच्चों का भविष्य’ नामक रिपोर्ट जारी की गई। इसमें कहा गया है, 21वीं सदी के मध्य के बच्चों का भविष्य अंधेरे में नजर आ रहा है।
जल्द से जल्द समाधान की जरूरत : यदि अभी से उनके भविष्य की चिंता नहीं की गई और समाधान नहीं खोजा तो उनकी जिंदगी मुश्किलों से भर सकती है। जिन तीन जोखिमों की पहचान की गई है, जिनमें जनसांख्यिकीय परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन और नई तकनीकें शामिल हैं। 2050 तक दुनिया के एक तिहाई बच्चे भारत, चीन, नाइजीरिया और पाकिस्तान में होंगे। बच्चों की आधी आबादी केवल 10 देशों में होगी। अगले 25 साल तक भारत और चीन ही सबसे ज्यादा बच्चों की आबादी वाले देश बने रहेंगे।
बच्चे जलवायु से लेकर ऑनलाइन खतरों तक असंख्य संकटों का सामना कर रहे हैं। ये खतरे आने वाले वर्षों में और ज्यादा बढ़ने वाले हैं। -कैथरीन रसेल,कार्यकारी निदेशक, यूनिसेफ