लखनऊ । प्रदेश के आठ आकांक्षी जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर नारी अदालत शुरू होंगी। महिला कल्याण विभाग ने इसका आदेश और गठन संबंधी जरूरी गाइड लाइन जारी कर दी हैं। इन अदालतों में महिलाओं की पारिवारिक, आर्थिक और सामाजिक समस्याओं का निदान होगा। ये महिलाओं को उनसे जुड़े कानून, अधिकारों के बारे में भी प्रशिक्षित करेंगी।
महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए राज्य सरकार ने और ठोस काम शुरू किया है। महिलाओं की ऐसी समस्याओं के लिए शासन आगे आया जिस पर वह बात करने, कहने में संकोच करती हैं। वह सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक परेशानियों को लोगों से साझा करने से बचती हैं। इसके चलते वे मानसिक तनाव में रहती हैं। ऐसी महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए शासन ने प्रदेश के आठ आकांक्षी जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत नारी अदालतें शुरू करने का फैसला लिया है। अदालत कैसे काम करेगी, खर्च, मानदेय, सुविधाएं और अधिकार संबंधी गाइड लाइन शासन ने जारी कर दी हैं। इन जिलों में नारी अदालत के फीड बैक पर बाकी अन्य जिलों में विस्तार होगा।
7-11 महिला सदस्य रहेंगे
प्रदेश के जिन आठ जिलों में नारी अदालत शुरू होंगी, वहां इनमें 7-11 सदस्य होंगी। नारी अदालत में महिलाएं ही रहेंगी। ये मामलों की सुनवाई कर विभागों, संस्थाओं के साथ पूरी तरह निदान कराएंगी। डीएम सेटअप कमेटी के अध्यक्ष होंगे। सीडीओ, जिला पंचायत राज अधिकारी, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन जनपदीय अधिकारी, जिला सूचना विज्ञान अधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी सदस्य, जिला प्रोबेशन अधिकारी सदस्य सचिव होंगे
इनमें बनेंगी नारी अदालत
नारी अदालत पहले बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती, चंदौली, चित्रकूट, फतेहपुर, सिद्धार्थनगर और सोनभद्र में शुरू होगी।