पांच दिन में 15.18 लाख करोड़ कमाए
घरेलू बाजार में पिछले पांच सत्रों से जारी तेजी से निवेशकों की संपत्ति 15.18 लाख करोड़ रुपये बढ़ गई है। बीएसई सेंसेक्स में सूचीबद्ध 30 कंपनियों का बाजार पूंजीकरण पिछले पांच सत्रों में 15,18,926.69 करोड़ रुपये बढ़कर 4,58,17,010.11 करोड़ रुपये हो गया। इन पांच दिनों में सेंसेक्स 2,722.12 अंक यानी 3.44 प्रतिशत मजबूत हुआ है।
मुंबई, । घरेलू शेयर बाजारों में गुरुवार को जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखने को मिला। सेंसेक्स और निफ्टी ने तेज गिरावट और उसके बाद जोरदार वापसी दिखाई। विदेशी निवेशकों का पूंजी प्रवाह बढ़ने और आईटी कंपनियों के शेयरों में तेज खरीदारी होने से सेंसेक्स में 809 और निफ्टी में 240 अंकों का उछाल आया। विश्लेषकों का कहना है कि आरबीआई की रेपो दर पर घोषणा से पहले निवेशक सतर्क रहे, जिसके चलते बाजार में इतनी तेज उठा-पटक देखी गई।
ऐसे पलटी बाजी बाजार की शुरुआत अच्छी नहीं रही और सेंसेक्स सुबह करीब 11 बजे तक 488 अंक लुढ़क गया। निफ्टी ने भी 171.9 अंक का गोता लगा दिया। दोपहर बाद दोनों सूचकांकों में जबरदस्त तेजी आई और सेंसेक्स दिन के निचले स्तर से 1,850.37 अंको उछल कर 82,317.74 के स्तर तक पहुंच गया। निफ्टी भी निचले स्तर से 562.2 अंकों की तेजी के साथ 24,857.75 पर पहुंच गया। लेकिन आखिरी एक घंटे में बाजार ने फिर करवट ली और ऊपरी स्तर से सेंसेक्स 1000 अंक और निफ्टी 350 अंक तक फिसल गए। इसके बाद आखिरी आधे घंटे में बाजी फिर पलट गई और बाजार जितनी तेजी से गिरा था, उतनी तेजी से ऊपर उठ गया।
विश्लेषकों का कहना है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) भारतीय बाजार में वापसी कर रहे हैं। बीते पांच दिनों में उनके शुद्ध रूप से खरीदार होने से भी बाजार धारणा सकारात्मक रही। एफआईआई ने गुरुवार को 8,539 करोड़ मूल्य के शेयर खरीदे।
विदेशी निवेशकों ने खरीदारी बढ़ाई
ब्याज दर में एक फीसदी की कटौती संभव नोमुरा
जापान के इन्वेस्टमेंट बैंक नोमुरा ने अनुमान जताया है कि आरबीआई दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा बैठक में रेपो दर में बड़ी कटौती कर सकता। यह कटौती एक फीसदी यानी 100 आधार अंकों की हो सकती है। इसकी घोषणा छह दिसंबर को होगी। हालांकि, अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत लेकर 0.50 प्रतिशत की कटौती देखने को मिल सकती है।
1. अमेरिकी बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर
2. यूरोपीय बाजारों में भी जोरदार तेजी
3. घरेलू बाजार में विदेशी पूंजी का प्रवाह बढ़ा
4. आरबीआई से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें
5. भू-राजनीतिक तनाव में फिलहाल कमी आना