लखनऊ। बिना अवकाश स्वीकृत कराए ड्यूटी से करीब पांच साल तक गायब रहे सेना को क्लर्क को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने राहत देने से इन्कार कर दिया है। क्लर्क ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर राहत देने की अपील की थी कि उसका पक्ष सुने बिना ही सक्षम स्तर से उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई कर दी गई है। कोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिका को खारिज करते हुए कार्रवाई को सही ठहराया।
मु ख्य भंसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने हरी प्रकाश सिंह की याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया। हरी प्रकाश सिंह ने याचिका में बताया कि वह सेना में क्लर्क के पद पर 8 मार्च 1984 को भर्ती हुआ था। वह बिना अनुमति और अधिकारियों को सूचना दिए 25 मई 1991 से अनुपस्थित रहा। उसने बताया कि 21 जून 1991 से 28 अगस्त 1991 तक सेना के अस्पताल में भर्ती रहा। चिकित्सकों ने उसे फिट फार ड्यूटी भी घोषित कर दिया, लेकिन उसने ड्यूटी ज्वॉइन नहीं की। लगातार बिना सूचना अनुपस्थित रहने के कारण सेना ने उसे 28 अप्रैल 1995 को बर्खास्त कर दिया। जिसके खिलाफ पांच साल बाद 23 जनवरी 2001 को एकल पीठ में याचिका दाखिल की थी।
इस पर अदालत ने याची के खिलाफ कार्रवाई को सही बताते हुए कहा कि सेना के एक कर्मचारी की ऐसी अनुशासनहीनता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। याची अपनी अनुपस्थिति के बारे में उचित कारण भी नहीं दे सका। ब्यूरो