लखनऊ, । प्रदेश के बिन बिजली कनेक्शन वाले प्राइमरी स्कूल इस वित्तीय वर्ष के अन्त तक रोशन हो जाएंगे। प्रदेश भर के बिजली विहीन इन प्राइमरी एवं अपर प्राइमरी स्कूलों में अगले 4 माह के अंदर बिजली कनेक्शन कराने के आदेश दिए गए हैं।
दरअसल, बिजली विहीन इन स्कूलों में अब तक स्मार्ट क्लास शुरू नहीं हो सकी है जबकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रत्येक विद्यालय में स्मार्ट क्लास अनिवार्य की गई है। इसी के मद्देनजर राज्य सरकार ने अगले वर्ष मार्च के अन्त तक सभी स्कूलों के विद्युतीकरण का लक्ष्य रखा है ताकि अगले शिक्षण सत्र में प्रदेश के प्रत्येक स्कूल में स्मार्ट क्लास शुरू किया जा सके।स्कूलों में तय समय सीमा में विद्युत कनेक्शन हो इसके लिए सरकार ने यूपी पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड, समग्र शिक्षा एवं बेसिक शिक्षा विभाग को संयुक्त अभियान चलाने के भी निर्देश दिए हैं।
प्रदेश में बिन बिजली के 14614 प्राइमरी स्कूल
बेसिक शिक्षा विभाग के दस्तावेजों पर नजर डालें तो वर्तमान में प्रदेश में कुल 14,614 प्राइमरी स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रदेश में अक्षरश लागू करने का निर्णय बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। इसी को ध्यान में रखकर राज्य सरकार ने स्मार्ट क्लास के लिए सबसे जरूरी बिजली के कनेक्शन के काम को तय समय सीमा के भीतर पूरा करने का फैसला किया है।
सरकार ने बिजली कनेक्शन के लिए तैयार किए गए ‘झटपट’ पोर्टल पर प्राप्त हर आवेदन पर तत्काल कार्रवाई के भी आदेश दिए हैं ताकि जल्द से जल्द बिना बिजली कनेक्शन वाले स्कूलों में बिजली की आपूर्ति शुरू हो सके।
कायाकल्प फंड से होगी धन की व्यवस्था
ऑपरेशन कायाकल्प के माध्यम से बिजली विहीन स्कूलों में विद्युत आपूर्ति शुरू कराने के लिए धन की व्यवस्था की जा रही है। दूर-दराज के स्कूलों में बिजली के पोल से स्कूलों की (40 मीटर से) अधिक दूरी होने की दशा में बिजली के खम्भों की तत्काल अतिरिक्त व्यवस्था के लिए भी पावर कारपोरेशन को अतिरिक्त धन दिए जाने का निर्णय किया गया है, जिससे कनेक्शन में अनावश्यक रूप से विलम्ब न हो। प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों के विद्युतीकरण से जुड़े दस्तावेजों के अनुसार करीब 2986 स्कूल ऐसे हैं जो दूर-दराज के इलाकों में स्थित हैं। इनमें आधे से अधिक ऐसे स्कूल हैं, जहां से बिजली के खम्भों की दूरी एक से डेढ़ किलोमीटर है। इसी प्रकार से करीब 119 स्कूल ऐसे हैं, जहां से बिजली के खम्भों की दूरी चार से पांच किलोमीटर तक है। इन स्कूलों में बिजली पहुंचाना सरकार के लिए सबसे बड़ा सरदर्द है।