महराजगंज। सड़क पर हरदम बायां किनारा से चलल जाला, भगवान बुद्ध कै बचपन कै नाम सिद्धार्थ रहा…, चौंकिए मत, अब आने वाले सत्र में परिषदीय स्कूलों की पढ़ाई कुछ इसी अंदाज में देसी माटी की भाषा में होगी। कक्षा एक और दो के विद्यार्थियों को सिखाने के लिए यह पहल की गई है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है।
बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में कक्षा एक और दो के विद्यार्थियों की पढ़ाई सामान्य भाषाओं के साथ-साथ भोजपुरी, अवधी, बुंदेली और ब्रज जैसी क्षेत्रीय भाषाओं में कराने की तैयारी की है। इसके लिए शब्दकोश व ई-कंटेंट निर्माण का कार्य शुरू है। इन भाषाओं में अध्ययन सामग्री डिजिटल रूप में स्कूलों को उपलब्ध कराई जाएगी जो अध्ययन कराने के विकल्प के रूप में उपलब्ध रहेगा और इसका उपयोग करते हुए कोई भी स्कूल विद्यार्थियों के ज्ञान का दायरा बढ़ा सकेंगे।
जनपद में 1705 परिषदीय स्कूलों में 2.48 लाख विद्यार्थी नामांकित हैं। एनसीईआरटी ने सत्र 23-24 में कक्षा एक और दो के पाठ्यक्रम में बदलाव किया था, जिसके कारण अगस्त महीने तक नई किताबें बच्चों को प्राप्त हो सकीं। इसके साथ ही यह प्रक्रिया भी अपनाई गई है कि अगर क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई की रुचि विद्यार्थी रखते हों तो उसी भाषा में अध्ययन सामग्री उन्हें उपलब्ध कराई जाए।
सिर्फ स्कूल को यह जानकारी बीएसए को देनी होगी कि स्कूल किस क्षेत्रीय भाषा पढ़ाई कराने के इच्छुक है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी को उक्त जानकारी राज्य परियोजना निदेशक कार्यालय को भेजनी होगी, जिससे उसी क्षेत्रीय भाषा में कंटेंट उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। स्मार्ट क्लास के जरिए क्षेत्रीय भाषा की अध्ययन सामग्री शिक्षक उपयोग में ला सकेंगे। कई बार यह देखा जाता है कि सामान्य खड़ी बोली में विद्यार्थी कम सीखते हैं, क्योंकि उनके घर में बोले जाने वाली भाषा और स्कूल में पढ़ाई जा रही भाषा में अंतर होता है, इसलिए यह सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है कि बच्चों की क्षेत्रीय भाषाओं में भी पढ़ाई कराई जाए। जिससे बच्चे आसानी से सीख सकें।