प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि लंबित जांच के दौरान किसी भी कर्मचारी को निलंबित करना न्यायिक सिद्धांतों के खिलाफ व मनमाना रवैया मामला 1 है। कोर्ट ने यह टिप्पणी कर मेरठ के विद्युत नगरीय वितरण उपखंड गंगानगर के एसडीओ के निलंबन पर अंतरिम रोक लगा दी है। साथ ही नियमित वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने एसडीओ दिनेश कुमार मौर्य की याचिका पर दिया। याची का कहना था कि वह सब-स्टेशन से अनुपस्थित था। इससे जला ट्रांसफॉर्मर बदलने में देरी हुई और जून 2024 में बिजली आपूर्ति बाधित हुई। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक के आदेश से उसे • लंबित कर दिया गया।
इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। याची के अधिवक्ता प्राणेश कुमार मिश्रा ने दलील दी कि ट्रांसफॉर्मर जलने के बाद आपूर्ति बस कपलर के माध्यम से सुनिश्चित कर दी गई थी। प्राइवेट फर्म की ओर से ट्रांसफॉर्मर
उपलब्ध होते ही उसे लगा दिया गया था। बिजली आपूर्ति प्रभावित नहीं हुई। न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया आरोप लापरवाही का है। यह इतना गंभीर मामला नहीं है कि बड़ी कार्रवाई कर कर्मचारी को निलंबित कर दिया
जाए। न्यायालय ने निलंबन आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। रजिस्ट्रार को मेरठ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के माध्यम से पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक को सूचित करने का निर्देश दिया।
सेवानिवृत्ति बकाया भुगतान में 14 साल की देरी के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार : हाईकोर्ट
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्ति बकाया भुगतान में 14 साल की देरी के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। न्यायालय ने आठ प्रतिशत ब्याज संग बकाया भुगतान करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने कृष्णावती की याचिका पर दिया।
संत कबीर नगर की कृष्णावती के पति राज्य सरकार के कर्मचारी थे। सेवाकाल में ही उनकी मृत्यु हो गई। उनका नो ड्यूज सर्टिफिकेट 2005 में जारी और सत्यापित किया गया। इस दौरान याची को कोई सेवानिवृत्त बकाया नहीं दिया गया। इस पर याची ने 2019 में एक याचिका दाखिल की। याची के पक्ष में फैसला आने के बावजूद अधिकारियों ने पालन नहीं किया। इस पर अवमानना याचिका दायर की। अंततः 23 दिसंबर 2019 को बकाया राशि प्रदान की गई। विलंबित भुगतान पर कोई व्याज नहीं दिया गया। ब्याज की मांग को लेकर वर्तमान याचिका
दाखिल की गई।
न्यायालय ने पक्षों को सुनने के बाद कहा कि कर्मचारी की मृत्यु परिवार को बेसहारा बना देती है। एक मात्र कमाने वाले के नहीं रहने से परिवार टूट जाता है। ऐसी परिस्थितियों में राज्य की जिम्मेदारी है कि वह कानून के अनुसार तत्परता और सहानुभूति के साथ अपना कर्तव्य निभाए, जो वर्तमान मामले में नहीं था।
न्यायालय ने कहा कि सेवानिवृत्ति लाभ और पेंशन के भुगतान में देरी होने पर सेवानिवृत्त की तारीख से भुगतान की तारीख तक ब्याज पाने का हकदार होगा। न्यायालय ने 18 मई 2005 से 23 दिसंबर 2019 तक की अवधि के लिए आठ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से व्याज देने का आदेश दिया। ब्यूरो