प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ के 53 सरकारी स्कूलों की कृषि भूमि को प्रबंधन कमेटी की संस्तुति के बगैर लीज पर देने पर रोक लगा दी है। वहीं, जांच के लिए नियुक्त न्यायमित्रों ने रिपोर्ट में खुलासा किया है कि स्कूल में खाना बनाने की व्यवस्था से शिक्षा का स्तर गिर रहा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ ने स्कूलों की कृषि भूमि पर अवैध कब्जे के खिलाफ जय भगवान की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया। याचिका में मेरठ के कक्केरपुर गांव के सरकारी स्कूल की भूमि लीज पर देने में प्रक्रिया का पालन करने व अवैध कब्जे को हटाने की मांग की गई थी।
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इस पर न्यायालय ने अधिवक्ता राय साहब यादव व विपुल कुमार को न्यायमित्र नियुक्त किया। मेरठ के अन्य स्कूलों का निरीक्षण कर रिपोर्ट व सुझाव मांगे गए। न्यायमित्रों ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मेरठ के 53 स्कूलों में कृषि भूमि है। मनमाने तरीके से भूमि लीज पर दी गई हैं। इससे मिले रुपये स्कूल के खाते में जमा नहीं किए गए हैं। इस मामले में पूर्व व वर्तमान प्रधानाचार्य पर मुकदमा दर्ज है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्कूलों में छात्रों की कमी है। इनकी संख्या दिखाने को फर्जी ढंग से निजी स्कूलों के छात्रों का पंजीकरण किया गया है। कई स्कूलों में 50 से भी कम छात्र हैं।
स्कूल में खाना बनाने की व्यवस्था से शिक्षा का स्तर गिर
गया है। अध्यापकों में पढ़ाने की रुचि नहीं है। सुझाव दिया कि छात्रों की भोजन से नहीं, परिवार की आर्थिक मदद की जाए।
वहीं, रिसर्च एसोसिएट ने कहा कि अध्यापकों की बायोमीट्रिक उपस्थिति दर्ज हो। सीसीटीवी कैमरे से ब्लॉक स्तर पर निगरानी
हो। न्यायालय ने इन सुझावों रिपोर्ट की प्रति मेरठ के डीएम, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी व महाधिवक्ता कार्यालय को अनुपालन के लिए भेजने को कहा है। कहा कि कोई वैधानिक अड़चन न हो तो न्यायमित्र की रिपोर्ट व दो रिसर्च एसोसिएट के सुझावों को अमल में लाएं।