लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने नवजात बच्चों, स्तनपान कराने वाली माताओं (धात्रियों) के स्वास्थ्य की हिफाजत के मामले में प्रदेश के करीब दो लाख आंगनबाड़ी केंद्रों की विशेषज्ञ अध्ययन रिपोर्ट दाखिल
मैसूर की रक्षा खाद्य अनुसंधान लैब को पोषाहार की मात्रा, गुणवत्ता का अध्ययन कर देनी है रिपोर्ट
करने को केंद्र सरकार को दो सप्ताह का और समय दिया है।
- महाकुंभ में शिविर लगाकर श्रद्धालुओं की सेवा करेंगे जनपद के शिक्षामित्र
- ईपीएफओ में दो सेवाओं की जानकारी ऑनलाइन खुद कर सकेंगे अपडेट
- केजीएमयू : 443 पदों पर अब 31 तक आवेदन
- यूपी बोर्ड के प्रशासनिक अफसर समेत पांच पर केस
- फिर पलटेगा मौसम, इस दिन बारिश के आसार
पहले, कोर्ट ने इसके लिए मैसूर की रक्षा खाद्य अनुसंधान प्रयोगशाला के निदेशक को आदेश दिया था कि केंद्रों से मिलने वाले पोषाहार की मात्रा, गुणवत्ता का अध्ययन कर 4 हफ्ते में रिपोर्ट पेश करें। लेकिन सुनवाई के समय यह पेश नहीं की जा सकी। केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने इसके लिए और समय देने का आग्रह किया। जिस पर, कोर्ट ने लैब के निदेशक को दो सप्ताह का समय देकर मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी को नियत की है। न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने यह आदेश शिप्रा देवी की जनहित याचिका पर दिया। याची ने प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों को आपूर्ति किए जाने वाले पोषाहार की मात्रा व गुणवत्ता समेत इसके वितरण में कथित धांधली का मुद्दा उठाया है।