हाईकोर्ट का सरकार को आदेश, एटा की सहायक अध्यापिका ने बच्चे की बीमारी के आधार मांगा था तबादला
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को मानसिक विकार से जूझते बच्चों के समग्र विकास के लिए हर जिले में शिक्षा और चिकित्सा की विशेष व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। कहा है कि सूबे के कई जिलों में मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों के लिए उन्नत चिकित्सा सुविधाओं, शैक्षिक अवसरों और
प्रणालियों का अभाव है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट की अदालत ने एटा के प्राइमरी स्कूल में तैनात सहायक
- डी०एल०एड० द्वितीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर परीक्षा वर्ष-2025 हेतु प्रशिक्षण पूर्ण कर चुके अभ्यर्थियों के ऑनलाइन आवेदन पत्र पूरित कराये जाने के सम्बन्ध में
- अवकाश के सम्बन्ध में पूरे उत्तर प्रदेश के लिए नया आदेश जारी।
- विद्यालयों में ‘कविता पाठ प्रतियोगिता के आयोजन के संबंध में।
- ARP Selection 2025-26 : समग्र शिक्षा के अन्तर्गत स्थापित न्याय पंचायत संसाधन केन्द्रों एवं ब्लॉक संसाधन केन्द्रों के पुनर्गठन हेतु निर्गत शासनादेश के कम में अकादमिक रिसोर्स पर्सन्स (ए०आर०पी०) के चयन के सम्बन्ध में
- प्री-प्राइमरी शिक्षा के अन्तर्गत Mother Orientation के सम्बन्ध में यू-ट्यूब सेशन का आयोजन।
अध्यापिका शिवानी की ओर से स्थानांतरण की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याची का कहना था कि उसका बेटा मानसिक विकार (ऑटिज्म) से पीड़ित है। उसका बेहतर इलाज नोएडा, गाजियाबाद और दिल्ली में ही हो सकता है। इसलिए उसका तबादला एटा से नोएडा या गाजियाबाद कर दिया जाए।
वहीं, शिक्षा विभाग की ओर से
पेश अधिवक्ता अर्चना सिंह ने कोर्ट को बताया कि नोएडा या गाजियाबाद में पद खाली नहीं है। भविष्य में सरकार कोई स्थानांतरण नीति लागू करती है तो याची तबादले के लिए आवेदन करने को स्वतंत्र है। हालांकि, स्थानांतरण नौकरी हिस्सा है, निहित अधिकार के रूप में कर्मचारी मनचाहे तबादले की मांग नहीं कर सकते। कोर्ट ने याचिका निस्तारित कर दी।