*Mau News: सरकारी स्कूलों में कई टीचर ऐसे हैं जिनके परिजन, रिश्तेदार या दोस्त आदि बड़े पदों पर हैं या फिर उनकी राजनीतिक पहुंच अच्छी है ऐसे कई सरकारी स्कूल नहीं जाते हैं. ये हफ्ते या महीने में 1-2 बार जाकर पूरे हफ्ते और महीने की हाजिरी भर देते हैं*
मऊ: टीचर से बच्चे डरते हैं ये तो आपने देखा और सुना होगा. क्या आपने सुना है कि किसी टीचर से सिर्फ बच्चे ही नहीं उस विद्यालय के शिक्षक और शिक्षिका भी खौफ खाते हों. हम आपको बता रहे हैं उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद के कंपोजिट प्राथमिक विद्यालय रणवीर पुर की. यहां रागिनी मिश्रा नाम की टीचर हैं जिनका नाम लेने से उस विद्यालय के शिक्षक भी घबराते हैं. इनका इतना खौफ है कि यदि गलती से भी किसी अन्य टीचर के मुंह से रागिनी का नाम निकला तो नाम लेने वाले शिक्षक का वेतन रोक दिया जाता है. इस टीचर पर पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप हैं. इन पर शिक्षा के मंदिर में भय का माहौल फैलाने और वहां शिक्षा का माहौल खराब करने का भी आरोप है।
*एक दिन आकर लगा जाती हैं कई दिन की हाजिरी*
विभागीय अधिकारियों, कर्मियों और शिक्षिकाओं के बीच मिलीभगत के चलते शिक्षिका रागिनी मिश्रा मनमाने ढंग से विद्यालय आती हैं. हफ्ते में एक दिन आकर बीते दिनों की हाजिरी भर जाती हैं. मिली जानकारी के मुताबिक, वह हफ्तों में एकाध बार स्कूल पहुंचती हैं और उपस्थिति पंजिका में एक साथ छूटे हुए दिनों की उपस्थिति दर्ज कर देती हैं।
*कथावाचक भी हैं रागिनी मिश्रा*
बताते हैं कि रागिनी मिश्रा एक कथित कथा वाचक भी है और हफ्तों विद्यालय नहीं जाती हैं. विभागीय कार्यों में अपनी हिम्मत और प्रभाव का प्रदर्शन करते हुए वे विद्यालय में न जाकर भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाती हैं. इस तरह के कारनामे विभाग में चर्चाओं का विषय बने हुए हैं लेकिन कोई भी इन्हें खुलकर सामने नहीं ला पाता।
*बताई जाती हैं BSA की करीबी*
सूत्रों और मीडिया द्वारा प्राप्त साक्ष्यों के अनुसार, रागिनी मिश्रा बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) की करीबी हैं और उनका प्रभाव इतना अधिक है कि कोई भी शिक्षक उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं कर पाता. यदि कोई विरोध करता है तो विभागीय अधिकारियों द्वारा उस पर कार्रवाई कर दी जाती है और उसका वेतन रोक लिया जाता है।
*ये है ताजा सबूत*
इससे जुड़ा एक महत्वपूर्ण ताजा उदाहरण उपस्थिति पंजिका है. उपस्थिति पंजिका या रजिस्टर में 26 नवम्बर 2024 से 3 दिसम्बर 2024 तक रागिनी मिश्रा की उपस्थिति का कोई रिकॉर्ड नहीं है. 4 दिसम्बर 2024 को वह विद्यालय पहुंचकर सभी छूटे हुए कार्य दिवसों की उपस्थिति एक साथ दर्ज कर देती हैं. इसी तरह 11 और 12 नवम्बर 2024 को भी रागिनी मिश्रा का स्थान उपस्थिति रजिस्टर में खाली है. बाद में इसे दर्ज कर लिया जाता है।
यह घटना शिक्षा के अधिकार कानून और सरकारी योजनाओं के प्रति घोर लापरवाही को उजागर करती है. इधर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गांव और प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने की बात करते हैं. ऐसे में अधिकारी स्तर के सरकारी कमर्चारी और शिक्षिकाएं ही उनकी योजनाओं को कमजोर कर रहे हैं और गांव के बच्चों के मूलअधिकारों का भी उल्लंघन कर रही हैं।
*नाम लेने वाले का रुक जाता है वेतन*
रागिनी मिश्रा अपने पावरफुल संबंधों का दुरुपयोग करते हुए कभी विद्यालय नहीं आती हैं. उनके खिलाफ बोलने वालों का वेतन कट जाने से बाकी शिक्षकों में भय भी बना हुआ है. ऐसे में उनके खिलाफ बोलने से काफी लोग बचते भी हैं. क्योंकि शिक्षा विभाग के अधिकारियों से उनके अच्छे संबंध हैं इस वजह से उनके खिलाफ बोलने वाले टीचरों का वेतन रोक दिया जाता है।