लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के 1.41 लाख स्कूलों की सुरक्षा उपायों की निगरानी न कराने के मामले में राज्य सरकार से 24 जनवरी तक जवाब मांगा है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को 14 वर्ष से लागू न करने पर सख्ती दिखाई है। इससे पहले हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के अविनाश मेहरोत्रा मामले में दिए गए फैसले को लागू करने को कहा था।
हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के न्यायमूर्ति आलोक माथुर व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश 24 साल पुरानी उस पीआईएल पर दिया है। इसमें गोमती रिवर बैंक रेजीडेंट्स ने आवासीय क्षेत्रों में मानकों के विपरीत चल रहे स्कूलों का मुद्दा उठाया था।
याचिका में 16 स्कूलों की सूची में जापलिंग रोड के सीएमएस समेत अन्य स्कूलों के नाम हैं। पहले कोर्ट ने प्रदेश के स्कूलों की सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट तलब की थी। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता कुलदीपपति त्रिपाठी ने अदालत को बताया कि प्रदेश के 1.41 लाख स्कूलों का मुआयना किया जाना है।
बतौर केस प्रदेश के पांच स्कूलों का निरीक्षण कराने का आदेश : इसी मामले
में सुनवाई के समय न्यायमित्र अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार की ओर से बनाई गई कार्य योजना के परीक्षण के लिए बतौर उदाहरण पांच स्कूलों में निरीक्षण कराया जाना उचित होगा। इसके तहत कोर्ट ने बाराबंकी, अयोध्या, कमालपुर शामली, बिस्वा सीतापुर के राजकीय इंटर कालेजों समेत प्राथमिक विद्यालय किशोरपुरा मऊरानीपुर झांसी का निरीक्षण चार सप्ताह में राज्य सरकार की गठित समिति से करवाने का आदेश दिया। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत इन शैक्षणिक संस्थानों का निरीक्षण कर अगली सुनवाई पर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।