जीपीएफ के मामले में बीईओ के खिलाफ सोमवार से जांच की जाएगी। यह बीईओ जिले के अलग- अलग विकास खंड में तैनात रहे हैं। -मनोज कुमार गिरि, निदेशक, मंडलीय संयुक्त शिक्षा अलीगढ़
अलीगढ़। 2003 से 2013 के बीच हुए सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) घोटाले में अलीगढ़ में तैनात रहे 34 बीईओ फंस गए हैं। इस मामले में सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) प्रयागराज अशोक कुमार गुप्ता ने बीईओ (खंड शिक्षा पदाधिकारी) के खिलाफ जांच बैठा दी है। अलीगढ़ के मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक व मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) इसकी जांच कर रहे हैं।
उस समय 520 शिक्षकों के जीपीएफ खाते में चार करोड़ 92 लाख 39 हजार 749 रुपये का फर्जी भुगतान किया गया। जांच में घिरे बीईओ इस अवधि में अलीगढ़ में तैनात रहे हैं। बीईओ हरिशंकर सिंह इस समय एटा में तैनात हैं।
शिक्षा प्रबंधन सॉफ्टवेयर
मो. अजहरे आलम मुरादाबाद, बुद्धसेन सिंह मथुरा, कैलाश चंद्र पांडेय पीलीभीत (निलंबित) मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) बरेली में संबद्ध, अमित सक्सेना एटा, उदित कुमार बागपत, सर्वेश कुमार गाजियाबाद, छोटेलाल हरदोई, ओम प्रकाश यादव बुलंदशहर, अमित कुमार गुप्ता बुलंदशहर, चंद्रभूषण प्रसाद गौतबुद्धनगर, सुनील कुमार मिर्जापुर, वंदना सैनी मुरादाबाद, माजुद्दीन अंसारी मैनपुरी (निलंबित)डायट गौतमबुद्धनगर से संबद्ध है।
जयपाल इटावा, अनिल कुमार अमरोहा, अखिलेश यादव वाराणसी, गिरिराज सिंह हाथरस, हेमलता बुलंदशहर, आलोक प्रताप श्रीवास्तव हाथरस, वीरेंद्र सिंह इटावा, अखिलेश प्रताप सिंह हाथरस, दीप्ति एटा, गोपाल त्यागी बुलंदशहर, सर्वेश सिंह कन्नौज (निलंबित) मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) कानपुर में संबद्ध, अरुण कुमार अमरोहा, राकेश यादव प्रयागराज, संजय भारती मुजफ्फरनगर, अनिल कुमार सिंह अमरोहा, तारकेश्वर पांडेय अयोध्या, केएल वर्मा उन्नाव में तैनात हैं।
ऋण दर्शाकर निकाला पैसा, प्रविष्टि नहीं दिखाई, लेजर से फाड़ दिए पेज
अलीगढ़। जिले में शिक्षकों के जीपीएफ खाते में चार करोड़ 92 लाख 39 हजार 749 रुपये का अग्रिम भुगतान कर दिया गया। बाद में शिक्षकों ने ऋण के रूप में इसे निकाल भी लिया, शिक्षकों के खिलाफ जांच जो आख्या लगाई गई, उसमें ऋण को घटाया नहीं गया। लेजर से पेज भी गायब कर दिए गए। ऋण की प्रविष्टि नहीं है, रजिस्टर में न तो चेक नंबर अंकित है और न ही चेक की एंट्री नहीं, रजिस्टर में निरस्त चेक का जिक्र नहीं, भुगतान की गई धनराशि, चेक तक अंकित नहीं। जांच में
अधिकारियों और पटल लिपिकों की संलिप्तता पाई गई। इस मामले में दो बाबू निलंबित हो चुके हैं। वर्ष 2002 से वर्ष 2019 तक 11 बीएसए तैनात रहे। साथ ही 34 बीईओ की तैनाती रही। यह भी कार्रवाई की जद में आ रहे हैं।