प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सेवा रिकॉर्ड में नामांकित व्यक्ति को सेवानिवृत्ति लाभ के लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने बुलंदशहर निवासी रफत नाज व अन्य की याचिका पर दिया।
रफत नाज के पति बुलंदशहर के राजकीय इंटर कॉलेज में कार्यवाहक प्रधानाचार्य के रूप में कार्यरत थे।
एक महिला ने स्वयं को याची के पति की दूसरी पत्नी होने का दावा कर शिकायत की थी
17 जुलाई 2020 को उनकी मृत्यु हो गई। याची ने बेटे की अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। वहीं, अंजुम परवीन नाम की महिला ने स्वयं को याची के पति की दूसरी पत्नी होने का दावा किया है। साथ ही उसने डीएम को पत्र लिखा कि वह मृतक की वैध पत्नी है।
इस पर डीआईओएस ने याची को पत्र भेज कहा कि सेवानिवृत्ति लाभ प्राप्त करने को उन्हें सिविल कोर्ट से उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। इस आदेश के खिलाफ रफत नाज ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने ने दलील दी कि डेथ कम सेवानिवृत्ति लाभों के लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र का हवाला देना नियम विरुद्ध है। न्यायालय ने डीआईओएस को नियमानुसार बेटे की नियुक्ति के दावे पर विचार करने का निर्देश दिया।
कहा कि प्रतिवादी अधिकारी
याची के पति के वैध उत्तराधिकारी का निर्धारण नहीं कर सकते। कानून जिसका सेवा रिकॉर्ड में नाम दर्ज, उसे सेवानिवृत्ति लाभ प्रदान किया जाना चाहिए।
मृतक कर्मचारी की सेवा पुस्तिका में याची नामित है। ऐसे में उसे सेवा लाभों से वंचित नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने याचिका स्वीकार कर ली।