*अध्यापक को निलंबन पूर्व के विद्यालय में एक बार बहाल कर देने के बाद बहाली पोर्टल पर पहले से भिन्न नये नये दंडादेश अपलोड करके विद्यालय बदलने का बीएसए का आदेश नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन*- उच्च न्यायालय
उच्च न्यायालय इलाहाबाद,खंडपीठ लखनऊ में राज कुमार तिवारी सहायक अध्यापक और इंचार्ज प्रधानाध्यापक उच्च प्राथमिक विद्यालय बालमपुर,भदैया सुलतानपुर की याचिका पर उनके अधिवक्ता एवं शासकीय अधिवक्ताओं की सुनवाई करने के बाद न्यायाधीश मोहम्मद मुईन ने एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है।याचिका पर याची के अधिवक्ता संतोष कुमार गुप्ता ने याची का पक्ष न्यायालय के समक्ष रखा कि पेशबंदी में याची के विरुद्ध झूठी शिकायत करने वाली महिला और उदय राज मौर्य तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी,भदैया की मिलीभगत से 15 अप्रैल को निरीक्षणकर्ता अधिकारी के निरीक्षण के माध्यम से एक कूट रचित निरीक्षणआख्या तैयार की गई जिसके आधार पर याची को बिना कारण बताओ नोटिस दिए तत्कालीन बीएसए सुलतानपुर दीपिका चतुर्वेदी द्वारा 22 अप्रैल को निलंबित करके खंड शिक्षा अधिकारी, लंभुआ कार्यालय से संबद्ध करते हुए अजय सिंह खंड शिक्षा अधिकारी लंभुआ को जांच अधिकारी नामित किया गया था।जांच अधिकारी द्वारा याची को 4 मई को आरोप पत्र निर्गत किया गया जिसके खंडन में याची ने 15 मई को फोटो, ऑडियो, वीडियो एवं दस्तावेजी साक्ष्यों संलग्नकों से युक्त अपना 437 पृष्ठों का विस्तृत लिखित स्पष्टीकरण एवं ई मेल द्वारा अनेक प्रत्यावेदन दिया।
18 मई को जांच अधिकारी के समक्ष विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों,स्थानीय ग्राम प्रधान, छात्रों एवं उनके अभिभावकों, एमडीएम फल एवं दुग्ध वितरकों सहित अनेक लोगों के हस्ताक्षरित प्रार्थना पत्रों एवं शपथ पत्रों को प्रस्तुत किया।परंतु जांच अधिकारी द्वारा याची को न तो जांच की तिथि,स्थान व समय की कोई सूचना दी गई,न जांच के समय उपस्थित रहकर गवाहों के परीक्षण,प्रतिपरीक्षण एवं उत्तर प्रत्युत्तर का याची को कोई अवसर दिया गया और न ही याची को जांच अधिकारी द्वारा व्यक्तिगत सुनवाई और जुबानी बयान देने का ही कोई अवसर दिया गया।जांच अधिकारी द्वारा याची के निलंबन की अनियमित अधूरी सतही जांच के आधार पर जांच आख्या एक पक्षीय रूप से अनुशासनात्मक प्राधिकारी बीएसए को प्रेषित कर दी गई जिसमें याची के लिखित जवाब, स्पष्टीकरण, प्रत्यावेदनों, और स्पष्टीकरण उसमें संलग्न साक्ष्यों सबूतों एवं याची सहित गवाहों के मौखिक बयान आदि का समुचित रिकॉर्ड नहीं रखा गया और न ही उनका समुचित अनुशीलन,परिशीलन,निरीक्षण,परीक्षण एवं विश्लेषण किया गया।याची के लिखित अभ्यावेदन पर पक्षपाती जांच अधिकारी बदलकर निष्पक्ष पारदर्शी जांच कराने,याची के विरुद्ध प्राप्त साक्ष्यों, शिकायतों, बयानों, निरीक्षण आख्या और जांच आख्या की प्रतियां याची को देने के याची के निवेदन को भी अनुशासनात्मक प्राधिकारी जिला बेसिक शिक्षाधिकारी सुलतानपुर के पत्रों द्वारा अस्वीकृत कर करके याची को प्रतिकूल प्रविष्टि के साथ निलंबन तिथि से सवेतन निलंबन पूर्व के उसके विद्यालय उच्च प्राथमिक विद्यालय बालमपुर में ही सहायक अध्यापक, इंचार्ज प्रधानाध्यापक के पद पर गुण दोष के आधार पर पूर्ववत बहाल करते हुए याची के विरुद्ध संस्थित जांच एवं अनुशासनिक कार्यवाही समाप्त करने का बहाली आदेश 21 अगस्त को निर्गत कर दिया गया जिसमें उल्लेख है कि समायोजन के कारण पोर्टल बंद है बाद में जब पोर्टल संचालित होने पर याची का 21 अगस्त का बहाली आदेश ऑनलाइन बहाली पोर्टल पर अपलोड करके याची को पोर्टल से विद्यालय आबंटन आदि की पूरी होगी जिसके विरुद्ध याची की अपील पर उभय पक्ष की सुनवाई करने के बाद अपीलीय अधिकारी सचिव,बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज के कार्यालय से निर्गत आदेश द्वारा 29 अक्टूबर को याची को दी गई प्रतिकूल प्रविष्टि का दंडादेश निरस्त कर दिया गया जिसके बाद याची स्वतः दोषमुक्त हो गया।बहाली के नवीनतम शासनादेश के प्राविधानानुसार इस प्रकार दोषमुक्त याची को ऑनलाइन बहाली पोर्टल पर उसके निलंबन पूर्व के विद्यालय उच्च प्राथमिक विद्यालय बालमपुर में ही पूर्ववत बहाल किया जाना चाहिए था।परंतु अनुशासनात्मक प्राधिकारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सुलतानपुर द्वारा अपीलीलीय अधिकारी सचिव,परिषद के अपीलीय आदेश में याची को दी गई प्रतिकूल प्रविष्टि के निरस्त करने के 29 अक्टूबर के आदेश की अवमानना करते हुए याची को बिना कारण बताओ नोटिस दिए और बिना याची को सुनवाई और बयान का कोई अवसर दिए,बिना निष्पक्ष जांच पूरी कराए,और बिना याची को जांच आख्या की प्रति प्राप्त कराए,बिना उच्चाधिकारियों से अनुमति प्राप्त किए उपरोक्त 21 अगस्त के पहले बहाली आदेश के तीन माह बाद 21 नवंबर को एक दूसरे भिन्न मनमाने कार्यालय ज्ञाप के द्वारा पोर्टल पर याची को दक्षता अवरोध रोक पर प्रतिकूल प्रविष्टि के दंड के साथ बहाल करते हुए उसके विद्यालय से भिन्न एक नवीन विद्यालय उच्च प्राथमिक विद्यालय बरुआ, भदैया में याची का स्टिगमैटिक नवीन पदस्थापन करके उसके विद्यालय से जबरन कार्यमुक्त कर दिया गया जिसे फिर से बिना उच्चाधिकारियोंकी अनुमति के ,बिना याची को कारण बताओ नोटिस देकर सुनवाई और व्यक्तिगत बयान का अवसर दिए पुनः बहाली पोर्टल पर रीसेट करके एक तीसरे मनमाने अनियमित बहाली आदेश से 4 दिसंबर के कार्यालय ज्ञाप के द्वारा याची को पहले दंडादेशों से अलग और नए परिनिंदा के बहाली दंडादेश के साथ बहाली पोर्टल पर याची के मूल विद्यालय से भिन्न उच्च प्राथमिक विद्यालय बरुआ , भदैया में याची को फिर से पदस्थापित कर दिया गया जिसके विरुद्ध याची ने माननीय उच्च न्यायालय,खंडपीठ लखनऊ में याचिका योजित करके 4 दिसंबर को ऑनलाइन NIC बहाली पोर्टल पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सुलतानपुर के अनियमित मनमाने बहाली आदेश सह कार्यालय ज्ञाप को खारिज (QUASH) किए जाने की प्रार्थना किया जिस पहली सुनवाई में ही विद्वान न्यायाधीश ने पाया कि याची को निलंबन पूर्व के विद्यालय में एक बार बहाल कर देने के बाद उस पर आरोपित प्रतिकूल प्रविष्टि के एक मात्र दंडादेश को अपीलीय अधिकारी के अपीलीय आदेश से निरस्त करने के बाद ऑनलाइन NIC बहाली पोर्टल पर पहले से भिन्न नया परनिंदा का दंडादेश अपलोड करके याची का निलंबन पूर्व का विद्यालय बदलने का बीएसए का आदेश नैसर्गिक न्याय के नियमों और सिद्धांतों सिद्धांतों का उल्लंघन है और इस प्रकार उपरोक्त के आधार पर
बिना कारण बताओ नोटिस दिए ऑनलाइन NIC बहाली पोर्टल से याची को बहाल करने के बाद परिनिंदा का नया दंड देकर याची का विद्यालय बदलने का जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सुलतानपुर के कार्यालय द्वारा 4 दिसंबर कार्यालय ज्ञाप द्वारा निर्गत बहाली आदेश माननीय न्यायालय द्वारा खारिज (QUASH) कर दिया गया तथा साथ ही याची को सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए विधिक नियमों के अंतर्गत 6 सप्ताह में नवीन आदेश निर्गत करने हेतु अनुशासनात्मक प्राधिकारी को निर्देशित किया गया है।