पाठ्यक्रम एक जैसा, अर्हता अलग-अलग होने से विवाद में फंसती हैं भर्तियां
प्रयागराज। एडेड विद्यालय हों या राजकीय, सभी जगह पाठ्यक्रम एक समान, इसके बावजूद एडेड व राजकीय विद्यालयों में सहायक अध्यापकों की भर्ती से संबंधित अर्हताओं में अंतर है। अब अर्हता एक समान किए जाने की तैयारी है, ताकि विवाद न हो और भर्तियां कोर्ट में न फंसें।
अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) विद्यालयों में सहायक अध्यापक (टीजीटी) हिंदी की भर्ती के लिए इंटरमीडिएट में संस्कृत के साथ बीए में हिंदी व बीएड अथवा बीए में हिंदी व संस्कृत के साथ बीएड की उपाधि जरूरी है। वहीं, राजकीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक (एलटी ग्रेड शिक्षक) हिंदी की भर्ती के लिए इंटरमीडिएट में संस्कृत के साथ बीए में हिंदी व बीएड की उपाधि आवश्यक है।
हिंदी, कला, संगीत समेत कई विषयों की अर्हताओं में विसंगतियां की जाएंगी दूर
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इसी तरह एडेड विद्यालयों में टीजीटी कला के लिए इंटरमीडिएट में प्राविधिक कला व बीए की डिग्री आवश्यक है। जबकि, राजकीय विद्यालयों में एलटी ग्रेड शिक्षक कला के लिए ललित कला से स्नातक व बीएड अथवा कला से स्नातक व बीएड की उपाधि जरूरी है।
इसी तरह टीजीटी संगीत के लिए चार वर्षीय प्रभाकर की डिग्री मांगी जाती है। जबकि, एलटी ग्रेड शिक्षक संगीत के लिए प्रभाकर की डिग्री व बीएड की उपाधि जरूरी है।
कुछ अन्य विषयों में भी अर्हताओं को लेकर इसी तरह की विसंगतियां हैं। अर्हता को लेकर यह विवाद लंबे समय से चला आ रहा है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने इस बार राजकीय विद्यालयों में एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती शुरू करने से पहले संबंधित विभाग से अर्हता स्पष्ट करने को कहा था। अभ्यर्थियों को भर्ती शुरू होने का इंतजार है।
वहीं, उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग भी एडेड विद्यालयों में टीजीटी-पीजीटी की नई भर्ती शुरू करने की तैयारी में है। आयोग के सूत्रों का कहना है कि शिक्षक भर्ती के पाठ्यक्रम का रिवीजन शुरू करा दिया गया है। अर्हता की विसंगतियों को भी दूर करने की तैयारी चल रही है। एडेड विद्यालय हों या राजकीय, पाठयक्रम एक है तो अर्हता भी एक समान होनी चाहिए, ताकि भर्ती शुरू होने के बाद कोई विवाद न हो।