Home PRIMARY KA MASTER NEWS शिक्षामित्रों की नई नियमावली बना कर स्थायी नियुक्ति करे सरकार और तब तक मानदेय बढ़ाने की मांग: अनिल यादव

शिक्षामित्रों की नई नियमावली बना कर स्थायी नियुक्ति करे सरकार और तब तक मानदेय बढ़ाने की मांग: अनिल यादव

by Manju Maurya

उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों की दयनीय स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने सरकार से शिक्षामित्रों की समस्याओं का समाधान करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि शिक्षामित्र लगातार सरकार से मानदेय बढ़ाने और स्थायी नियुक्ति की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी आवाज अनसुनी की जा रही है।

सात साल से नहीं बढ़ा मानदेय

अनिल यादव ने कहा कि पिछले सात सालों में शिक्षामित्रों के मानदेय में एक भी रुपया बढ़ोतरी नहीं की गई है। वर्तमान में उन्हें मात्र 10,000 रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलता है, जो आज की महंगाई के दौर में परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पूरी तरह से अपर्याप्त है। शिक्षामित्रों की मांग है कि उनका मानदेय बढ़ाकर 30,000 रुपये प्रति माह किया जाए।

गरीबी और तनाव से हो रही शिक्षामित्रों की मौतें

अनिल यादव ने बताया कि आर्थिक तंगी और सरकार की उदासीनता के चलते अब तक 2700 से अधिक शिक्षामित्रों की मौत हो चुकी है। इनमें से कई शिक्षामित्र गरीबी और मानसिक तनाव के कारण असमय काल के गाल में समा गए। हालात इतने भयावह हैं कि 30 से ज्यादा शिक्षामित्र आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाने पर मजबूर हो गए।

स्थायी करने की मांग

शिक्षामित्रों की प्रमुख मांग है कि सरकार एक नई नियमावली बनाकर उन्हें स्थायी किया जाए। अनिल यादव का कहना है कि शिक्षामित्र ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में शिक्षा का आधारभूत ढांचा मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे में उन्हें स्थायित्व और सम्मान देने की जरूरत है।

शिक्षा तंत्र को कमजोर कर रही उदासीनता

अनिल यादव ने सरकार की उदासीनता की आलोचना करते हुए कहा कि शिक्षामित्र शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ हैं। उनकी समस्याओं का समाधान न करना पूरे शिक्षा तंत्र को कमजोर करने के समान है। उन्होंने कहा कि शिक्षामित्रों को स्थायी कर उनके भविष्य को सुरक्षित किया जाना चाहिए।

सरकार से अपील

प्रदेश अध्यक्ष ने सरकार से अपील की है कि शिक्षामित्रों के लिए स्थायी नियमावली तैयार की जाए और उनका मानदेय 30,000 रुपये प्रतिमाह किया जाए। उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल शिक्षामित्रों के लिए राहत भरा होगा, बल्कि शिक्षा के स्तर को भी बेहतर बनाने में सहायक होगा।

शिक्षामित्रों के आर्थिक और मानसिक स्वास्थ्य को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि सरकार उनकी मांगों को प्राथमिकता दे और जल्द से जल्द सकारात्मक निर्णय ले।

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